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वाराणसी में गंगा का कहर: पहली बार नमो घाट बंद, शवदाह में बाधा

वाराणसी। सावन के चौथे सोमवार पर काशी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 57 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। 72.03 मीटर के जलस्तर के साथ गंगा ने शहर के घाटों और निचले इलाकों में तबाही मचा दी है। पहली बार नमो घाट को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। गंगा का पानी शीतला घाट की सड़क और बीएचयू ट्रॉमा सेंटर से महज 800 मीटर दूर तक पहुंच गया है।

दशाश्वमेध घाट, हरिश्चंद्र घाट, सामने घाट और राजघाट जैसे प्रमुख घाटों की सीढ़ियां डूब चुकी हैं। जल पुलिस की चौकी तक पानी आ चुका है। घाटों पर श्रद्धालुओं और शवदाह यात्रियों की आवाजाही रोक दी गई है। शवों की बढ़ती कतारों और पानी के बीच अंतिम संस्कार के लिए लोगों को पांच से छह घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में नावें चल रही हैं और शव ले जाने के लिए 200 से 500 रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं। लकड़ी के रेट भी 1000 से 1200 रुपये प्रति मन तक पहुंच गए हैं।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास भी जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। गंगा द्वार की केवल 13 सीढ़ियां ही बची हैं। प्रशासन ने मंदिर परिसर में जल पुलिस और NDRF की टीमें तैनात कर दी हैं। सुरक्षा के लिए 100 मीटर पहले ही बैरिकेडिंग की गई है। गंगा के पलट प्रवाह से वरुणा, नाद और गोमती नदी भी उफनाई हुई हैं। 44 गांव और 24 शहरी मोहल्ले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। 1410 परिवारों ने घर छोड़ा और 1721 एकड़ फसल डूब चुकी है।

प्रशासन ने नाव संचालन व सभी जल गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगा दी है। नदी विज्ञानी इसे 1978 जैसी गंभीर बाढ़ की आशंका बता रहे हैं। गंगा का यह जलस्तर अगस्त 2022 के रिकॉर्ड (71.54 मीटर) को पार कर गया है।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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