निश्चय टाइम्स, लखनऊ। जिलाधिकारी विशाख जी के निर्देश तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एन.बी. सिंह व जिला प्रोबेशन अधिकारी के सहयोग से जनपद के डिग्री कॉलेज के छात्र-छात्राओं को “गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध), अधिनियम(पीसीपीएनडीटी एक्ट), 1994” पर संवेदीकृत किया जा रहा है | कार्यक्रम के नोडल डॉ. के.डी.मिश्रा ने बताया कि जिलाधिकारी ने जनपद के सभी डिग्री कॉलेज के छात्र-छात्राओं को इस विषय पर संवेदीकरण करने के निर्देश दिए हैं | इसी क्रम में अगस्त के आखिरी सप्ताह से अब तक नेशनल पीजी कॉलेज, करामत पी.जी.कॉलेज, नारी शिक्षा निकेतन पी.जी.कॉलेज तथा क्रिश्चियन पी.जी. कॉलेज में कार्यशाला आयोजित कर लगभग 1000 छात्र छात्राओं कि इस अधिनियम के बारे में बताया जा चुका है |

हम 21वीं सदी में हैं लेकिन आज भी लड़का लड़की में भेद किया जाता है और लड़कियों को लड़कों के मुकाबले कमतर आँका जाता है |यह भ्रान्ति है कि लड़के द्वारा मुखाग्नि देने से मोक्ष मिलता है, लड़का वंश को आगे बढ़ाता है | ऐसी भ्रांतियों के चलते लोग गर्भ में ही लिंग की पहचान कर लड़कियों को मार दिया करते थे | इन सबमें साथ देते थे नर्सिंग होम, क्लिनिक, डाक्टर आदि| जिससे कि लड़का लड़की लिंगानुपात प्रभावित हुआ | इन गैर कानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने पीसीपीएनडीटी एक्ट), 1994″, गर्भ समापन अधिनियम(एमटीपी एक्ट),2021 लागू किया है |
इसको लेकर छात्र छात्राओं को जागरूक करना जरूरी है जिससे कि उनमें लड़का लड़की समान है, लिंग चयन गलत और गैर कानूनी है | इसकी जानकारी मिले | इसके साथ ही बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ अभियान के बारे में भी बताया गया कि साल 2015 में यह अभियान केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया था | इसका उद्देश्य लिंग आधारित चयन पर रोकथाम, बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना, बालिकाओं के लिए शिक्षा की उचित व्यवस्था तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के सम्बन्ध में जागरूकता फैलाना है |





