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पूर्वजों के श्राद्ध और तर्पण से मिलेगा पुण्य फल

ज्योतिषाचार्य पंडित सुनील पांडेय ने बताया – तर्पण और श्राद्ध मध्याह्न में करने से पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं

21 सितंबर को पितृ विसर्जन

निश्चय टाइम्स, लखनऊ। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पूर्वजों की स्मृति और श्रद्धा का पर्व पितृ पक्ष 7 सितंबर, रविवार से आरंभ हो रहा है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए तर्पण और श्राद्ध करेंगे। पितृ पक्ष को लेकर लोगों में गहरी आस्था और परंपरा जुड़ी हुई है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित सुनील पांडेय ने बताया कि पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को प्रथम श्राद्ध से होगी। इस दिन वे लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करेंगे जिनका निधन प्रथमा तिथि पर हुआ हो। इसके बाद 8 सितंबर को द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण का सर्वश्रेष्ठ समय मध्याह्न होता है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इसी समय पूर्वज पृथ्वी पर आकर अपने वंशजों की ओर देखते हैं और अर्पित सामग्री को ग्रहण करते हैं। पंडित पांडेय ने बताया कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध का पुण्य फल पूरे परिवार को मिलता है। यह माना जाता है कि पूर्वज पितृ पक्ष के आरंभ से प्रतिदिन पृथ्वी पर आते हैं और सूर्यास्त तक इस प्रतीक्षा में रहते हैं कि उनके कुल का कोई सदस्य उन्हें जल, अन्न या पूजा सामग्री अर्पित करे। यदि ऐसा होता है तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और संतुष्ट होकर लौट जाते हैं। लेकिन यदि उन्हें कुछ नहीं मिलता तो वे आंसू पीकर भी अपने वंशजों की भलाई ही चाहते हैं और कभी श्राप नहीं देते।

इस बार पितृ विसर्जन 21 सितंबर, रविवार को पड़ेगा। इस दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाएगा जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है। इसलिए इसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से विधि-विधान से श्राद्ध कर अपने पूर्वजों को स्मरण करेंगे। फिलहाल जिले में गया जाने वालों की भारी भीड़ देखी जा रही है। लोग अपने पूर्वजों को तर्पण और पिंडदान करने के लिए परंपरागत रूप से गया जाकर धार्मिक अनुष्ठान पूरा कर रहे हैं और वापस लौट रहे हैं।

  • पंडितों का कहना है कि श्राद्ध केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव है। परिवारजन तिल, कुश, जल और अन्न से तर्पण कर अपने पूर्वजों को स्मरण कर रहे हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि पितृ पक्ष में किया गया श्राद्ध न केवल पूर्वजों को तृप्त करता है बल्कि वंशजों की कठिनाइयों को भी दूर करता है।
  • धर्मग्रंथों में कहा गया है कि पितृ पक्ष में श्रद्धापूर्वक किए गए तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। श्रद्धालुओं ने गंगा और स्थानीय नदियों के घाटों पर स्नान के बाद विधिपूर्वक श्राद्ध किया। पंडितों के अनुसार, तर्पण से पूर्वज संतुष्ट होकर अपने वंशजों को रोगमुक्ति, समृद्धि और सुख का आशीर्वाद देते हैं।
  • धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में किया गया तर्पण पितरों को तृप्त करता है और उनके आशीर्वाद से परिवार पर संकट नहीं आता। गया, प्रयागराज और वाराणसी जैसे धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं ने पिंडदान कर पूर्वजों को नमन किया। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है।
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Author: ntuser1

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