कारागारों में निरूद्ध महिला बंदियों के बच्चों के पुनर्वास हेतु ‘सुरक्षित बचपन योजना’ उड़ान पुस्तिका का विमोचन
विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू, बच्चों के समग्र विकास के लिये विशेषज्ञ सेवाएं और कौशल गतिविधियाँ शुरू
बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर आधारित ‘पैडागॉजी फ्रेमवर्क’ हुआ प्रस्तुत -प्रमुख सचिव, लीना जौहरी
बाल देखरेख संस्थाओं में पुस्तकालय, न्यायमूर्ति अरुण भसाली ने किया उद्घाटन
निश्चय टाइम्स, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग बच्चों के कल्याण एवं संबंधित कानूनों के क्रियान्वयन हेतु नोडल विभाग है। विभाग प्रदेश में बच्चों के लिये एक ऐसा वातावरण तैयार करने की कल्पना करता है जो सुरक्षित हो, सशक्त हो और उनके विकास में सहायक हो। विभाग द्वारा इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं।
इसी क्रम में को दिनांक 07 सितम्बर, 2025 को न्यायिक प्रशिक्षण एवम शोध संस्थान गोमतीनगर में एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान, विभाग द्वारा प्रत्येक बाल देखरेख संस्था में पुस्तकालय, कारागारों में आवासित महिला बंदियों के साथ निरूद्ध बच्चों के समग्र विकास एवं पुनर्वास हेतु नवीन योजना, बाल देखरेख संस्थाओं में आवासित बच्चों के समग्र विकास हेतु पैडागॉजी तथा संस्थाओं में किये जा रहे अच्छे प्रयासों पर विकसित उड़ान पुस्तिका के विमोचन जैसे नवाचार शुरू किये गये।
विभाग के अंर्तगत प्रदेश में कुल 131 बाल देखरेख संस्थायें संचालित हैं। जिनमें संकटग्रस्त या निराश्रित बच्चो को घर जैसा वातावरण देते हुये उन्हे आश्रय, भोजन, शिक्षा, परामर्श, मनोरंजन और कौशल प्रशिक्षण एवं आत्मनिर्भर बनने के अवसर प्रदान किये जा रहे हैं। विभाग द्वारा बच्चों के शैक्षणिक विकास हेतु प्रत्येक बाल रेखरेख संस्था में पुस्तकालय स्थापित किये गये है जिनका डिजिटल उदधाटन न्यायमूर्ति अरूण भसाली, मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, द्वारा न्यायमूर्ति अजय भनोट, न्यायाधीश, उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं चेयरपर्सन, उच्च न्यायालय किशोर न्याय समिति, लीना जौहरी, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, उ०प्र०, जकारी एडम, चीफ ऑफ फील्ड, यूनिसेफ, उ०प्र०, दिवेश सामंत, निदेशक, न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान की उपस्थिति में किया गया। इन पुस्तकालयों में बच्चों की उम्र, रुचि, मंनोरंजन, के साथ-साथ उनकी शैक्षणिक आवश्यकताओं और उनमें नैतिक विकास के मूल्यों हेतु सहायक पुस्तकों को शामिल किया गया है।
विभाग द्वारा कारागारों में आवासित महिला बंदियों के साथ निरूद्ध बच्चों के समग्र विकास एवं पुनर्वास हेतु तैयार ‘सुरक्षित बचपन योजना’ संबंधी पुस्तिका का विमोचन भी न्यायमूर्ति अरूण भसाली, मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय इलाहाबाद, द्वारा किया गया। उल्लेखिनीय है कि उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में योजित क्रिमिनल मिसलेनियस बेल एप्लीकेशन संख्या-25993/2024, रेखा बनाम उ०प्र० राज्य में उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में विभाग द्वारा कारागारों में निरूद्ध महिला बंदियों के बच्चो के समग्र विकास और संरक्षण हेतु कारागार प्रशासन एवं सुधार, गृह, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विभागों के समन्वय से ‘सुरक्षित बचपन योजना’ का विकास किया है, योजना बनाते समय यह ध्यान रखा गया है कि कारागार परिसर के वातावरण में आवासित होने के कारण बच्चों पर होने वाले संभावित नकारात्मक प्रभावों से उनका बचाव किया जा सके। योजना के अंतर्गत विभाग द्वारा 266 बच्चों को चिन्हित कर उनकी गुणवत्तापूर्ण व्यक्तिगत देखरेख योजनायें तैयार की गई हैं और कारागार विभाग के सहयोग से लगभग 52 बच्चों को औपचारिक शिक्षा से जोडा गया है।
विभाग द्वारा लखनऊ विश्वविधालय, भातखण्डे संस्कृति विश्वविधालय तथा छत्रपति साहू जी महाराज कानपुर विश्वविधालय के साथ बाल देखरेख संस्थाओं में विशेषज्ञ सेवायें यथा परामर्श, खेलकूद, स्कूल के बाद ट्यूशन सर्पाेट, योग, ध्यान, आर्ट एण्ड क्राफ्ट, म्यूजिक, डान्स, करियर काउन्सिलिंग, सहित अन्य जीवन कौशल गतिविधियों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एम०ओ०यू० भी किया गया। एम०ओ०यू० के अंतर्गत संबंधित विश्वविधालयों के प्रशिक्षित शिक्षक, छात्र-छात्रायें व विषय विशेषज्ञ बाल देखरेख संस्थाओं में इंटर्नशिप एवं प्रशिक्षण आदि कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को विभिन्न गतिविधियों में सहयोग करेंगें। इस अवसर पर प्रदेश की बाल देखरेख संस्थाओं में आवासित बच्चों के समग्र विकास हेतु तैयार पैडागॉजी फ्रेमवर्क को प्रस्तुत किया गया जिसके माध्यम से प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत्त आवश्यकताओं के अनुसार उनकी देखरेख एवं संरक्षण सुनिश्चित किया जायेगा।
