निश्चय टाइम्स, डेस्क। नेपाल में सरकार विरोधी आंदोलन ने सोमवार को हिंसक रूप ले लिया, जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए। बढ़ते दबाव के बीच प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफे का ऐलान कर दिया। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और कई शीर्ष नेताओं के आवासों पर हमला बोल दिया तथा संसद भवन में जमकर तोड़फोड़ की। हिंसक प्रदर्शनों के दौरान अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। राजधानी काठमांडू और अन्य हिस्सों में माहौल तनावपूर्ण है। प्रदर्शनकारियों के उग्र रुख को देखते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक समेत तीन मंत्रियों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
सोमवार को हालात काबू से बाहर होने पर सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाए गए प्रतिबंध हटा लिए। लेकिन स्थिति बिगड़ने पर काठमांडू जिला प्रशासन ने मंगलवार सुबह साढ़े आठ बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू करने का आदेश जारी किया। कर्फ्यू के दौरान किसी भी तरह की रैली, सभा, विरोध-प्रदर्शन, बैठक या धरना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। हालांकि, एंबुलेंस, दमकल वाहन, स्वास्थ्यकर्मियों, पर्यटकों, मीडियाकर्मियों और हवाई यात्रियों को सुरक्षा बलों के समन्वय से आने-जाने की अनुमति दी गई है। सोमवार को सोशल मीडिया प्रतिबंधों को लेकर सुरक्षा बलों और युवाओं के बीच हुई झड़प में 19 लोगों की मौत और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। इसके बाद हालात को नियंत्रण में लाने के लिए यह कर्फ्यू लागू करना पड़ा। नेपाल में लगातार बिगड़ती स्थिति ने राजनीतिक संकट को और गहरा कर दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ओली के इस्तीफे के बाद नई राजनीतिक तस्वीर कैसी होगी और क्या देश में शांति बहाल हो पाएगी।
