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हिन्दी दिवस पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

निश्चय टाइम्स, लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा हिन्दी दिवस समारोह के शुभ अवसर पर दिन रविवार 14 सितम्बर, 2025 को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन के निराला सभागार लखनऊ में पूर्वाह्न 10.30 बजे से किया गया। दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण के उपरान्त वाणी वंदना रत्ना शुक्ला द्वारा प्रस्तुत की गयी। डॉ0 ऋचा मिश्रा, डॉ0 हेमांशु सेन सिंह एवं डॉ0 रामकृष्णका स्वागत स्मृति चिह्न भेंट कर डॉ0 अमिता दुबे, प्रधान सम्पादक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।

डॉ0 ऋचा मिश्राने कहा- हिन्दी भाषा को संयुक्त राष्ट्र संघ में मान्यता अवश्य मिलनी चाहिए। भारत का पूरे विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के धार्मिक गं्रथ विदेशी विद्वानों के लिए एक मार्ग दर्शन के रूप में कार्य करते रहे हैं। विदेशों में भी कई विद्वानों ने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार का बहुत प्रयास किया। विश्व ने भारतीय संस्कृति के महत्व व उसके प्रभाव को जाना है। हिन्दी भाषा आज पूरे विश्व में प्रचारित हो रही है। जिसमें संचार माध्यम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज विश्व में हिन्दी की ज्ञान संपदा काफी तेजी से बढ़ रही है।
डॉ0 हेमांशु सेन सिंह ने कहा- हिन्दी हमारे मान व सम्मान की भाषा है। हिन्दी आज नायकत्व की भूमिका में है। आज कोई संशय नहीं कि भाषा की दृष्टि से हिन्दी की विकास यात्रा पूरे विश्व में आगे बढ़ती जा रही है। हिन्दी में विशेष गुण हैं। इसलिए इसे समावेशी भाषा के रुप में जाना जाता है। हिन्दी भाषा का वैशिष्ट्य आज भी विद्यमान है। महात्मा गांधी ने कहा हिन्दी भाषा मेरे लिए स्वराज का प्रश्न है। भारतवासियों की आँखों में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की प्रबल इच्छा भी है। हिन्दी को समावेशी भाषा के रूप में बनना होगा। हिन्दी भाषा के पास एक व्यापक व्याकरण की विरासत है। हिन्दी एक सजीव भाषा है, उसका स्वरूप विराट है। हिन्दी में उदारता का गुण विश्व फलक पर उसे महत्वपूर्ण स्थान दिलाता रहा है। भाषा विचारों के आदान-प्रदान का साधन है।
डॉ0 रामकृष्ण ने कहा- हमारा चिन्तन यदि महान होगा तो मंजिल पर पहुँचना संभव हो जाता है। चिन्तन से ही सकारात्मक परिणाम मिलता है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ पर हिन्दी बहुतायत से बोली जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी की मान्यता की पूर्ण संभावनाएं हैं। भारत को हिन्दी की राष्ट्र भाषा के रूप में मान्यता देनी होगी। विश्व मंच पर भारत को हिन्दी भाषा के संदर्भ में प्रभावशाली भूमिका निभानी होगी।
ओम प्रकाश सिंह, विशेष सचिव (भाषा) ने कहा- हिन्दी को सर्वोच्च स्थान प्रदान करने में हमारे वेदों, पुराणों की भूमिका महतवपूर्ण रही है। हिन्दी को आगे बढ़ाने में हमें कृतसंकल्प होना पडे़गा। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में हमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हिन्दी एक दिन विश्व फलक पर अपना परचम लहरायेगी। डॉ0 अमिता दुबे, प्रधान सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान द्वारा कार्यक्रम का संचालन एवं संगोष्ठी में उपस्थित समस्त साहित्यकारों, विद्वत्तजनों एवं मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त किया गया।

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Author: ntuser1

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