निश्चय टाइम्स, डेस्क। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण और बाल कल्याण पर आधारित ‘महिलाओं के नेतृत्व में विकास’ही 2047 तक विकसित भारत के विज़न की आधारशिला है। तिरुपति में संसद और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं की महिला सशक्तिकरण समितियों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत तभी एक समावेशी और विकसित राष्ट्र बनेगा जब हमारी बेटियाँ शिक्षित और आत्मनिर्भर होंगी। इस सम्मेलन में 20 से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन “विकसित भारत हेतु महिलाओं के नेतृत्व में विकास” विषय पर किया जा रहा है, जिसमें विशेष रूप से “लैंगिक उत्तरदायी बजट” और “उभरती प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों का सामना करने हेतु महिलाओं का सशक्तिकरण”पर ध्यान केंद्रित किया गया है। विचार-विमर्श का केंद्रबिंदु होगा—महिला नेतृत्व को सशक्त बनाना, शासन में उनकी भागीदारी बढ़ाना, समावेशी नीतियाँ सुनिश्चित करना और ऐसे भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाना जहाँ महिलाएँ केवल लाभार्थी ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय विकास की मुख्य निर्माता भी हों।
उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण पर समितियों का यह प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है। ऐसे सम्मेलन, उन्होंने कहा, विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और समावेशी नीतिनिर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इसने देशभर से सांसदों, नीति निर्माताओं और महिला नेताओं को एक साथ लाकर महिला नेतृत्व, समानता और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समावेशन के लिए सामूहिक रूप से रणनीतियाँ तय करने का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि तिरुपति सम्मेलन यह स्पष्ट और सशक्त संदेश देता है कि महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण परिधीय विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रगति की आधारशिला हैं। पंचायत से लेकर संसद तक महिला नेतृत्व, समावेशी कानूनों और नीतियों तथा प्रत्येक महिला की आर्थिक स्वतंत्रता पर केंद्रित यह सम्मेलन 2047 तक विकसित भारत के विज़न को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।लोक सभा अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि महिला सशक्तिकरण किसी एक सम्मेलन की ही बात नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है, जिसके लिए जीवन के प्रत्येक चरण में महिलाओं की आवश्यकताओं को संबोधित करने वाली व्यापक नीतियों की आवश्यकता है। उन्होंने पंचायत से लेकर संसद तक महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि नीति-निर्माण एवं कानून-निर्माण संस्थाओं में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ाने से उन चुनौतियों और अवरोधों को दूर करने में मदद मिलेगी, जिनका महिलाओं ने ऐतिहासिक रूप से सामना किया है।
महिला नेतृत्व को रेखांकित करते हुए श्री बिरला ने कहा कि प्राचीन विदुषियों गार्गी और अनुसूया से लेकर वीरांगनाओं रानी रुद्रमादेवी और रानी लक्ष्मीबाई तक, महिलाओं ने अपने साहस, ज्ञान और त्याग से भारत के इतिहास को गढ़ा है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय महिलाएँ अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल से लेकर साहित्य, तथा स्थानीय शासन से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं भारत में महिला राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, अध्यक्ष और विधायक रही हैं, जो हमारे लिए गर्व का विषय है और यह राष्ट्र की महिला नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
