‘सफेद मौत’ से 580 ट्रेकर्स को मिली नई ज़िंदगी
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह चढ़ाई नहीं बल्कि इतिहास का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन है। एवरेस्ट के तिब्बती हिस्से में आए असामान्य रूप से शक्तिशाली बर्फीले तूफान ने सैकड़ों ट्रेकर्स को अपनी चपेट में ले लिया था। लेकिन इंसानी हिम्मत और समर्पण की मिसाल पेश करते हुए, बचावकर्मियों ने 7 अक्टूबर तक 580 ट्रेकर्स, स्थानीय गाइड्स और याक चरवाहों को सुरक्षित निकाल लिया।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मिशन को अब तक के सबसे बड़े खोज और बचाव अभियानों में से एक माना जा रहा है। यह अभियान एवरेस्ट के पूर्वी हिस्से के पास कर्मा घाटी में चलाया गया, जो समुद्र तल से लगभग 4,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस इलाके में शनिवार को पूरे दिन तेज़ बर्फबारी होती रही, जिससे सैकड़ों ट्रेकर्स गहरी बर्फ में फंस गए।
रविवार को बचावकर्मियों ने लगभग 350 ट्रेकर्स को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया, जबकि शेष यात्रियों को मंगलवार तक बचा लिया गया। अधिकारियों के अनुसार, बचाव अभियान में स्थानीय प्रशासन, तिब्बती आपदा प्रबंधन दल, पर्वतीय गाइड्स और वायुसेना के हेलिकॉप्टरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कर्मा घाटी, जिसे लगभग एक सदी पहले पश्चिमी यात्रियों ने खोजा था, अब तिब्बत का प्रमुख ट्रेकिंग डेस्टिनेशन बन चुका है। हाल के वर्षों में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेज़ वृद्धि हुई है। केवल पिछले साल ही 5.4 लाख से अधिक पर्यटक इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं, जो अब तक का रिकॉर्ड है। लेकिन इस बार आई विपत्ति ने इस क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बर्फीले तूफान का असर केवल एवरेस्ट क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा। पश्चिमी चीन के शिनजियांग, किंघई और गांसु प्रांतों में भी सैकड़ों पैदल यात्री फंस गए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, हाइपोथर्मिया और एक्यूट माउंटेन सिकनेस (ऊंचाई की बीमारी) के कारण कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई है।
हालांकि, तिब्बती प्रशासन ने समय पर की गई कार्रवाई से सैकड़ों जिंदगियों को बचाने में सफलता हासिल की, जिससे यह मिशन “सफेद मौत” के खिलाफ मानव साहस और एकता की मिसाल बन गया है।
अब माउंट एवरेस्ट सिर्फ रोमांच का प्रतीक नहीं, बल्कि यह भी साबित कर रहा है कि जब इंसान ठान ले, तो प्रकृति की सबसे कठिन परीक्षाओं में भी विजय प्राप्त कर सकता है।
