राअखिलेश को बताया “इस युग का सबसे सुसंस्कृत नेता
रामपुर: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव के रामपुर दौरे से एक दिन पहले, सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आज़म ख़ान ने चुप्पी तोड़ते हुए पहली बार खुलकर बात की है। पिछले महीने जेल से रिहा हुए 77 वर्षीय आज़म ख़ान ने अपने लंबे राजनीतिक सफर और मौजूदा परिस्थितियों पर खुलकर अपनी राय रखी। इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि अब वह पार्टी नेतृत्व के प्रति सम्मान बनाए रखते हुए राजनीति की पृष्ठभूमि में रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “अब वक्त है कि मैं पीछे रहकर देखूं। पार्टी मेरे लिए परिवार की तरह है और मेरा सम्मान उसके प्रति अडिग रहेगा।”
करीब चार साल सीतापुर जेल में बिताने वाले आज़म ख़ान फिलहाल रामपुर के मुमताज पार्क स्थित अपने आवास पर रह रहे हैं। जेल में बिताए समय को उन्होंने “मानवीय अनुभव” बताया और कहा कि उन्हें किसी से कोई नाराजगी नहीं है। रामपुर सदर सीट से दस बार विधायक रह चुके आज़म ख़ान कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम चेहरों में से एक माने जाते थे। लेकिन 2019 के बाद उनके खिलाफ जमीन कब्जाने, धोखाधड़ी और अभद्र भाषा जैसे आरोपों में दर्ज दर्जनों मामलों ने उनके राजनीतिक करियर पर गहरा असर डाला।
2022 में विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद भाजपा उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने रामपुर सीट जीती। हालांकि, आज़म ख़ान ने उनके राजनीतिक कद को नकारते हुए कहा, “उनकी कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है। उनके पिता की भी नहीं थी।” ख़ान ने दोहराया कि 2022 का रामपुर उपचुनाव मुस्लिम मतदाताओं के मताधिकार से वंचित होने की वजह से प्रभावित हुआ था। उन्होंने कहा, “अगर उस चुनाव की सच्चाई देश के सामने आ जाती, तो एक बड़ी क्रांति होती।” साथ ही उन्होंने राहुल गांधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं से अपील की कि वे रामपुर को “चुनावी अन्याय का प्रतीक” बनाएं।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साथ अपने गहरे संबंधों को याद करते हुए उन्होंने कहा, “मुलायम सिंह ने पार्टी को शून्य से खड़ा किया। कोई उनके कद तक नहीं पहुँच सकता।” वहीं उन्होंने अखिलेश यादव की तारीफ करते हुए कहा, “वे इस युग के सबसे सुसंस्कृत राजनीतिक नेता हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी एकजुट है और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।” आज़म ख़ान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अखिलेश यादव रामपुर के दौरे पर आने वाले हैं — जहाँ कभी आज़म की राजनीतिक पकड़ अपराजेय मानी जाती थी।
