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लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उपराष्ट्रपति ने सिताब दियारा में दी श्रद्धांजलि

भारत के उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने शनिवार को बिहार के सारण जिले के सिताब दियारा गांव में भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 123वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उपराष्ट्रपति इस अवसर पर बिहार के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे। पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के लिए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

इसके बाद उपराष्ट्रपति ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पैतृक घर का दौरा किया और राष्ट्रीय स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने गांव में स्थित लोकनायक स्मृति भवन और पुस्तकालय का भी निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सिताब दियारा की पवित्र धरती पर आना उनके लिए सम्मान और सौभाग्य की बात है। यह वही स्थान है, जहां से भारत के सबसे बड़े जननायकों में से एक ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को नई दिशा दी।

अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि जयप्रकाश नारायण की जयंती केवल श्रद्धांजलि का अवसर नहीं, बल्कि आदर्शों के उत्सव का दिन है। लोकनायक ने हमेशा राष्ट्र को स्वयं से ऊपर, मूल्यों को सत्ता से ऊपर और जनता को राजनीति से ऊपर रखा। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण सिर्फ स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के संरक्षक भी थे।

उन्होंने याद दिलाया कि जयप्रकाश नारायण ने सत्ता की लालसा कभी नहीं रखी। वे पद के बजाय नैतिक अधिकार से जनता के बीच सम्मानित हुए। ‘संपूर्ण क्रांति’ के उनके आह्वान ने देश में विचारों की क्रांति को जन्म दिया — एक ऐसी क्रांति जिसमें स्वच्छ शासन, सशक्त गरीब और सक्रिय युवाओं का भारत शामिल था।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकनायक का ‘संपूर्ण क्रांति’ आंदोलन हथियारों का नहीं बल्कि विचारों और मूल्यों का विद्रोह था। उन्होंने भूदान आंदोलन में उनकी भूमिका का भी उल्लेख किया, जिससे आंदोलन को राष्ट्रीय पहचान और नैतिक विश्वसनीयता मिली।

राधाकृष्णन ने लोकनायक की पत्नी प्रभावती देवी को भी नमन किया, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति समर्पण के लिए ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती लोकनायक के उन्हीं सिद्धांतों — सत्य, न्याय, अहिंसा और जनशक्ति — पर आधारित है।

अपने संबोधन के अंत में उपराष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे भारत 2047 के विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है, लोकनायक के आदर्शों को आत्मसात करना आज पहले से कहीं अधिक आवश्यक है।

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Author: ntuser1

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