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25 जनपदों के मास्टर ट्रेनर युवा आपदा मित्र हुए प्रशिक्षित

सर्पदंश न्यूनीकरण पर कार्यशाला आयोजित

सर्पदंश पीड़ित को उपचार से पूर्व संवेदना की आवश्यकता, झाड़-फूंक व तांत्रिक भ्रम दूर करने का आह्वान

राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा बुधवार को योजना भवन के वैचारिकी सभागार में सर्पदंश न्यूनीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 25 जनपदों के मास्टर ट्रेनर युवा आपदा मित्रों के लिए एकदिवसीय नॉन-क्लीनिकल कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री रणवीर प्रसाद द्वारा किया गया। इस अवसर पर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रोफेसरों एवं चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के स्नेक बाइट प्रोग्राम के नोडल अधिकारियों ने प्रतिभागियों को सर्पदंश से बचाव, उपचार और प्राथमिक सहायता के संबंध में विस्तृत प्रशिक्षण दिया।

मुख्य अतिथि श्री रणवीर प्रसाद ने कहा कि सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति को उपचार से पूर्व संवेदना की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि आपदा मित्र समाज में फैले झाड़-फूंक, तांत्रिक और अन्य टोटकों के भ्रम को दूर करें और लोगों को यह विश्वास दिलाएं कि समय पर अस्पताल पहुंचाने से जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि घबराहट में लिए गए गलत निर्णय कभी-कभी जीवनघातक सिद्ध होते हैं। सांप काटे तो घबराएं नहीं, क्योंकि घबराने से जहर नर्वस सिस्टम में तेजी से फैलता है।

राहत आयुक्त श्री भानु चन्द्र गोस्वामी ने कहा कि सर्पदंश के मामलों में समाज में फैले अंधविश्वासों को दूर करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इस संबंध में रियल टाइम मॉनिटरिंग और लाइव ट्रैकिंग की व्यवस्था “स्नेक बाइट मिटिगेशन पोर्टल” के माध्यम से की जा रही है। उन्होंने बताया कि राहत आयुक्त कार्यालय के हेल्पलाइन नम्बर 1070 पर निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र और एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

स्नेक बाइट प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सक्सेना ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 38 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें 18 विषैले हैं। उन्होंने कहा कि करैत, कोबरा, रसेल्स वाइपर और साॅ-स्केल वाइपर सबसे अधिक जहरीले सांप हैं। घबराहट के कारण हार्ट अटैक से भी कई बार मृत्यु हो जाती है, इसलिए शांत रहकर अस्पताल पहुंचना सबसे आवश्यक कदम है।

कार्यशाला में डॉ. विपिन वर्मा, डॉ. निशांत भारद्वाज, प्रो. शैफाली गौतम, डॉ. नीलकमल मिश्रा और डॉ. विकास यादव ने सर्पदंश की पहचान, प्राथमिक उपचार, सीपीआर प्रक्रिया एवं एम्बूबैग के सही उपयोग पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। प्रतिभागियों को यह बताया गया कि पीड़ित को शांत रखकर, प्रभावित अंग को हृदय से नीचे रखना और समय पर अस्पताल ले जाना ही जीवन रक्षक कदम हैं।

इस कार्यशाला में अमरोहा, बागपत, बहराइच, बलरामपुर, बरेली, बुलंदशहर, देवरिया, गाजियाबाद, गाजीपुर, कुशीनगर, लखीमपुरखीरी, लखनऊ, महराजगंज, महोबा, मेरठ, मुरादाबाद, प्रयागराज, रामपुर, सहारनपुर, संतकबीरनगर, शामली, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र तथा वाराणसी से आए 100 युवा आपदा मित्रों ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम का संचालन सर्पदंश न्यूनीकरण परियोजना की राज्य सलाहकार सुश्री काव्या शर्मा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन भी उन्हीं द्वारा किया गया।

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Author: ntuser1

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