कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को फतेहपुर में भीड़ हिंसा में मारे गए दलित युवक हरिओम वाल्मीकि के परिजनों से मुलाकात की। यह मुलाकात तब हुई जब परिवार ने शुरू में कांग्रेस नेता से मिलने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद प्रशासन ने बातचीत के लिए अनुमति दी। राहुल गांधी ने परिवार से मुलाकात कर संवेदना जताई और प्रदेश सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “हमारे बेटे और भाई को मारा गया है, लेकिन परिवार को अपराधी की तरह घर में बंद कर दिया गया है। इन्हें डराया जा रहा है, जबकि ये केवल न्याय मांग रहे हैं।”
राहुल ने कहा कि दलितों के खिलाफ अत्याचार और हत्याएं बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि “अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और पीड़ित परिवार को सम्मान के साथ न्याय दिलाएं।”

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा दलितों, गरीबों और वंचितों की आवाज उठाती रही है और आगे भी न्याय की लड़ाई में परिवार के साथ खड़ी रहेगी। राहुल गांधी ने कहा, “सरकार ने परिवार पर दबाव बनाया ताकि वे मुझसे न मिलें, लेकिन सच्चाई यह है कि अपराधी बाहर घूम रहे हैं और निर्दोष परिवार को डराया जा रहा है।” हालांकि, हरिओम के भाई शिवम वाल्मीकि ने कहा कि वे सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं और किसी तरह की राजनीति नहीं चाहते। उन्होंने बताया कि हत्यारों को जेल भेजा गया है और मुख्यमंत्री के निर्देश पर हरिओम की बहन कुसुम देवी को सरकारी अस्पताल में स्टाफ नर्स की नौकरी दी गई है।
कांग्रेस प्रदेश महासचिव विवेकानंद पाठक ने सरकार पर आरोप लगाया कि प्रशासन ने परिवार पर राजनीतिक दबाव बनाया, ताकि वे राहुल गांधी से न मिलें। उनका कहना था कि “यह भारतीय जनता पार्टी और यूपी सरकार की ओछी राजनीति है।” इस बीच, मामले ने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां कांग्रेस इस मुद्दे को “दलित अत्याचार” के रूप में उठा रही है, वहीं राज्य प्रशासन इसे “कानूनी कार्रवाई पूरी होने” का उदाहरण बता रहा है।





