टोक्यो: जापान के लिए 21 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब देश ने अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची को चुना। इस ऐतिहासिक पल के साथ जापान की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। साने ताकाइची के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई।
वर्तमान में जापान गहरे राजनीतिक संकट से जूझ रहा था। इस बीच साने ताकाइची ने एक नए गठबंधन सहयोगी के साथ समझौता कर इस गतिरोध को समाप्त किया। उन्होंने दक्षिणपंथी जापान इनोवेशन पार्टी (JIP) के साथ गठबंधन कर सत्ता की बागडोर संभाली है। माना जा रहा है कि यह गठबंधन देश की राजनीति को राइट विंग (दक्षिणपंथी विचारधारा) की ओर ले जाएगा।
ताकाइची ने पूर्व प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की जगह ली है, जिन्होंने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। शिगेरु इशिबा केवल एक साल तक ही पद पर बने रहे। जुलाई में हुए चुनावों में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद पार्टी में असंतोष और नेतृत्व को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी। अंततः साने ताकाइची के नेतृत्व में पार्टी ने एक नया रास्ता चुना।
कौन हैं साने ताकाइची?
64 वर्षीय साने ताकाइची जापान की राजनीति में एक प्रभावशाली और सशक्त महिला नेता मानी जाती हैं। वह लंबे समय से एलडीपी के दक्षिणपंथी धड़े से जुड़ी रही हैं। राजनीति में आने से पहले वह एक हेवी-मेटल ड्रमर और बाइकर रह चुकी हैं। साल 1993 में उन्होंने अपने गृहनगर नारा से पहला चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने आर्थिक सुरक्षा, आंतरिक मामलों और लैंगिक समानता जैसे अहम मंत्रालयों का जिम्मा संभाला।
ताकाइची ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को अपना राजनीतिक आदर्श मानती हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी और उनके रूढ़िवादी दृष्टिकोण की समर्थक रही हैं। कहा जाता है कि ताकाइची विदेशी नीतियों पर कड़ा रुख अपनाने वाली नेता हैं। वह जापान के युद्धकालीन इतिहास की पुनर्व्याख्या का समर्थन करती हैं और यासुकुनी तीर्थस्थल की नियमित आगंतुक रही हैं — जो अक्सर चीन और दक्षिण कोरिया के साथ तनाव का कारण बनता है।
