लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग की जांच में सामने आया है कि प्रदेश के कई जिलों में लाखों ऐसे मतदाता दर्ज हैं, जिनके नाम एक ही सूची में दो या तीन बार मौजूद हैं। यानी एक ही व्यक्ति अलग-अलग वार्डों में मतदाता के रूप में पंजीकृत है। यह गड़बड़ी न केवल चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि प्रशासन के लिए भी चुनौती बन गई है।
सबसे ज्यादा गड़बड़ी पीलीभीत, वाराणसी, बिजनौर और हापुड़ जिलों में पाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, केवल पीलीभीत के पूरनपुर ब्लॉक में ही लगभग 97 हजार मतदाता ऐसे मिले हैं, जिनके नाम मतदाता सूची में दोहराए गए हैं। इसी तरह वाराणसी के आराजीलाइन ब्लॉक में 77,947, गाजीपुर के सैदपुर में 71,170, वाराणसी के पिंडरा में 70,940 और जौनपुर के शाहगंज सोंधी में 62,890 डुप्लीकेट नाम दर्ज पाए गए हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने इस गड़बड़ी को गंभीर मानते हुए गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) शुरू करने का निर्णय लिया है। आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे ब्लॉकवार डुप्लीकेट मतदाताओं की सूची के आधार पर घर-घर जाकर जांच करें और जिनके नाम दोहराए गए हैं, उन्हें सूची से तुरंत हटाया जाए।
सूत्रों के अनुसार, यदि पूरे प्रदेश में सख्ती से जांच की गई तो करीब 50 लाख डुप्लीकेट नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले भी सुधार अभियान चलाए गए थे, लेकिन इतने व्यापक स्तर पर पहली बार यह प्रक्रिया की जा रही है। आयोग का लक्ष्य है कि पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची पूरी तरह से पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाई जाए।
निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों को चेतावनी दी है कि किसी भी स्थिति में डुप्लीकेट नाम मतदान प्रक्रिया में बाधा नहीं बनना चाहिए। जिलों को आदेश दिया गया है कि ग्राम पंचायत स्तर पर विशेष सत्यापन टीमें बनाई जाएं, जो मतदाताओं की पहचान और उनके दस्तावेजों की दोबारा जांच करें। साथ ही खंडवार और ब्लॉकवार रिपोर्ट आयोग को समय पर भेजने की अंतिम तिथि भी तय कर दी गई है।
आयोग का कहना है कि यह कार्रवाई लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम है, जिससे आगामी पंचायत चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और त्रुटिरहित तरीके से संपन्न हो सकें।





