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फरीदाबाद में बड़ा आतंकी खुलासा

 अल-फलाह यूनिवर्सिटी के छात्र डॉक्टर मुसैब के पास से 2910 किलो विस्फोटक बरामद, देश दहलाने की साजिश नाकाम

देश की राजधानी दिल्ली से सटे फरीदाबाद में आतंकी साजिश का एक बड़ा खुलासा हुआ है। जम्मू-कश्मीर पुलिस और फरीदाबाद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 2910 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है। यह विस्फोटक अल-फलाह यूनिवर्सिटी, धौज के एक छात्र डॉ. मुज्जमिल अहमद गनेई उर्फ़ मुसैब द्वारा छिपाई गई थी। बताया जा रहा है कि मुसैब फरीदाबाद के अलग-अलग इलाकों में किराए पर कमरे लेकर इन विस्फोटकों को जमा कर रहा था। वह अल फलाह यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था और आतंकियों के संपर्क में था।

पुलिस जांच के अनुसार, आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद मिलकर भारत में बड़े पैमाने पर धमाके की साजिश रच रहे थे। इसी साजिश के तहत मुसैब को जम्मू-कश्मीर से फरीदाबाद भेजा गया था। पुलिस ने 30 अक्टूबर को उसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद उसे अदालत में पेश कर 3 दिन के ट्रांजिट रिमांड पर जम्मू-कश्मीर भेजा गया।

साजिश का खुलासा ऐसे हुआ:
19 अक्टूबर 2025 को जम्मू-कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के धमकी भरे पोस्टर लगाए गए थे। इसके बाद पुलिस ने आतंकी गतिविधियों की जांच शुरू की और कई स्थानों पर छापेमारी की। जांच में डॉक्टर मुज्जमिल का नाम सामने आया, जो फरीदाबाद में पढ़ाई के साथ-साथ विस्फोटक जमा करने का काम कर रहा था।

फरीदाबाद में छापेमारी और बरामदगी:
8 नवंबर की रात जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम फिर से फरीदाबाद पहुंची। पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी परिसर और आसपास के इलाकों में छापेमारी की। 9 नवंबर को यूनिवर्सिटी से लगभग 500 मीटर दूर एक किराए के मकान से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट, हथियार और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद हुई। जांच आगे बढ़ी तो 10 नवंबर को धौज से करीब 4 किलोमीटर दूर फतेहपुर तगा गांव के एक अन्य मकान से 2550 किलो अमोनियम नाइट्रेट मिला।

दोनों ही मकान मुसैब ने 1200 से 1500 रुपये महीने के किराए पर लिए थे। स्थानीय लोगों को शक भी नहीं था कि एक मेडिकल छात्र आतंकी गतिविधियों में शामिल हो सकता है।

पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे:
जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने मुसैब से पूछताछ में पता लगाया कि वह पाकिस्तान से संचालित आतंकी नेटवर्क के संपर्क में था। उसे दिल्ली, अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख स्थानों पर धमाके करने के निर्देश दिए गए थे। उसके पास से कुछ डिजिटल सबूत और संचार डिवाइस भी मिले हैं, जिनसे विदेशी हैंडलर्स से संपर्क के संकेत मिले हैं।

पुलिस की सतर्कता से बचा बड़ा हादसा:
फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर सतेंद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि यह “संयुक्त ऑपरेशन” 15 दिनों की सतत निगरानी और खुफिया जानकारी पर आधारित था। इस कार्रवाई से एक बड़े आतंकी हमले को नाकाम किया गया है।

पुलिस के मुताबिक, यह पूरा नेटवर्क ‘व्हाइट कॉलर टेरर इकोसिस्टम’ का हिस्सा था, जिसमें डॉक्टर, छात्र और प्रोफेशनल्स जैसे शिक्षित लोग शामिल थे। इनका उद्देश्य देश में अस्थिरता फैलाना था। वर्तमान में पुलिस इस नेटवर्क के बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी है, ताकि आतंकी गतिविधियों की जड़ तक पहुंचा जा सके।

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Author: ntuser1

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