देश को झकझोर देने वाले 2006 के निठारी कांड का सह-आरोपी सुरेंद्र कोली आखिरकार 17 साल बाद जेल से बाहर आ गया। बुधवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे लुक्सर जेल से रिहा किया गया। कोली नए कोट-पैंट में जेल के गेट से बाहर निकला। इससे पहले वर्ष 2023 में मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर भी सभी मामलों में बरी हो चुका था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोली की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई के बाद उसे अंतिम मामले में भी बरी कर दिया था और तत्काल रिहाई का आदेश दिया था। हालांकि, मंगलवार देर शाम तक रिहाई लेटर (परवाना) जेल प्रशासन को नहीं मिला, जिसके कारण उसकी रिहाई एक दिन के लिए टल गई। बुधवार को सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद कोली को रिहा किया गया।
साल 2006 में उजागर हुए इस कांड में नोएडा के निठारी गांव से कई बच्चों के लापता होने और उनकी हत्या के मामले सामने आए थे, जिसने पूरे देश को हिला दिया था। कोली पर 13 केस दर्ज थे, जिनमें से 12 में वह पहले ही बरी हो चुका था। 13वां केस, रिम्पा हल्दर हत्याकांड, में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
कोली करीब दो वर्षों से गौतमबुद्धनगर जिला जेल में बंद था। इससे पहले उसे गाजियाबाद की डासना जेल से लुक्सर जेल में शिफ्ट किया गया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उसकी रिहाई का आदेश दिया।





