लखनऊ में रविवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना उदा देवी पासी की प्रतिमा का अनावरण किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि उदा देवी केवल पासी समुदाय की नहीं, बल्कि पूरे देश की शान हैं। उन्होंने कहा कि लखनऊ उनकी कर्मभूमि रही है और उदा देवी तथा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जैसी ऐतिहासिक हस्तियों से जुड़े इस शहर से उनका विशेष भावनात्मक संबंध है।
राजनाथ सिंह ने कहा, “उदा देवी ने न केवल पासी समुदाय बल्कि पूरे राष्ट्र को गौरवान्वित किया। उनका बलिदान एक प्रेरणा है कि अन्याय, भेदभाव और गुलामी के खिलाफ डटकर खड़े होना ही सच्चा साहस है। वह दलित समुदाय से थीं और इसी भूमि पर उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।” उन्होंने आगे कहा कि लखनऊ बाबा साहेब अंबेडकर की स्नेह भूमि भी है, क्योंकि उनके गुरु समान भदंत बोधानंद जी और प्रेरक भदंत प्रज्ञानंद जी दोनों का संबंध इसी शहर से रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि उदा देवी का जीवन महिला सशक्तिकरण की मिसाल है। भारत की महिलाओं ने हमेशा अपने देश और धर्म की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि आज लड़कियों के लिए सैनिक स्कूलों के दरवाज़े खुल चुके हैं और महिलाएं सियाचिन की चोटियों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक देश की सुरक्षा में योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महिला पायलटों और सैनिकों ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में चलाए गए अभियानों में अहम भूमिका निभाई।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की हर बेटी में उदा देवी जैसी वीरता और दृढ़ता दिखाई देती है। उदा देवी पासी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की एक साहसी महिला योद्धा थीं। उन्होंने वाजिद अली शाह की महिला बटालियन और बाद में बेगम हज़रत महल के साथ मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष किया। 16 नवंबर 1857 को सिकंदर बाग़ के युद्ध में उन्होंने पुरुष वेश में पेड़ पर चढ़कर अंग्रेज़ सैनिकों पर गोलियाँ चलाईं और वीरगति को प्राप्त हुईं। उनकी शहादत को आज भी विशेष रूप से दलित समुदाय में साहस और बलिदान के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है।





