कोलकाता, पश्चिम बंगाल: शुक्रवार सुबह कोलकाता और पश्चिम बंगाल के कई जिलों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, जिससे स्थानीय निवासियों में दहशत फैल गई। सुबह 10:08 से 10:10 बजे के बीच कुछ सेकंड तक धरती हिली। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.2 दर्ज की गई। भूकंप का केंद्र पड़ोसी देश बांग्लादेश के घोड़ाशाल से लगभग 7 किलोमीटर दूर था। कंपन महसूस होते ही कई लोग घरों और ऑफिसों से बाहर निकल आए।
भूकंप का असर केवल कोलकाता ही नहीं, बल्कि मालदा, नादिया, कूचबिहार समेत कई जिलों में देखा गया। हालांकि राहत की बात यह है कि अब तक किसी जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। प्रशासन भी स्थिति की निगरानी कर रहा है और लोगों से शांत रहने की अपील की गई है।
क्यों आते हैं भूकंप?
पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में भूकंप की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी के भीतर 7 टेक्टोनिक प्लेट्स निरंतर हिलती-डुलती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती या रगड़ती हैं तो ऊर्जा बाहर निकलती है और भूकंप के झटके महसूस होते हैं। कई बार यह कंपन मामूली होते हैं, लेकिन तेज भूकंप भारी तबाही ला सकते हैं—जिसमें इमारतें गिर जाती हैं, सड़कों में दरारें पड़ती हैं और हजारों लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है।
भारत में भूकंप के संवेदनशील जोन
भूगर्भ विशेषज्ञों के अनुसार भारत का लगभग 59% हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। भारत को कुल 4 भूकंप जोन में बांटा गया है—
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जोन-2: कम संवेदनशील
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जोन-3: मध्यम
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जोन-4: ज्यादा संवेदनशील
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जोन-5: सबसे ज्यादा खतरे वाला
राजधानी दिल्ली जोन-4 में आती है, जहां 7 से अधिक तीव्रता के भूकंप आने की संभावना रहती है। इसके अलावा हिमालय क्षेत्र, कच्छ, पूर्वोत्तर भारत और फॉल्ट लाइनों से जुड़े इलाके भी हाई-रिस्क जोन माने जाते हैं। भारतीय प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है, इसी कारण यहां भूकंप की सक्रियता अधिक रहती है।
रिक्टर स्केल पर भूकंप का असर
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4 से 4.9: हल्का झटका, सामान गिर सकता है
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5 से 5.9: फर्नीचर हिल सकता है
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6 से 6.9: इमारतों की नींव दरक सकती है
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7 से 7.9: इमारतें गिर जाती हैं
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8 से ऊपर: सुनामी और भीषण तबाही संभव





