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मनरेगा में ई-केवाईसी से पारदर्शिता और सेवा सुधार तेज़

निश्चय टाइम्स, डेस्क। ग्रामीण विकास मंत्रालय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के पारदर्शी और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सतत प्रयासरत है। ताकि ग्रामीण परिवार इस अधिनियम के प्रावधानों का लाभ प्राप्त कर सकें। मनरेगा का दायरा बहुत बड़ा है। इसमें देश भर के 2.69 लाख ग्राम पंचायतों में 26 करोड़ से अधिक पंजीकृत श्रमिक हैं। अधिनियम के अनुसूची-II के पैरा 2 के अनुसार “ग्राम पंचायत का यह कर्तव्य होगा कि वह आवश्यक जांच के बाद आवेदन प्राप्त होने की तारीख से पंद्रह दिनों के भीतर एक जॉब कार्ड जारी करे। इसमें एक विशिष्ट जॉब कार्ड नंबर, पंजीकरण संख्या, बीमा पॉलिसी संख्या और आधार संख्या (यदि उपलब्ध हो) का उल्लेख हो।”
इसके अलावा अनुसूची-II के पैरा 3 में कहा गया है कि “जॉब कार्ड का नवीनीकरण प्रत्येक पाँच वर्ष बाद सत्यापन के उपरांत किया जाएगा।” जॉब कार्ड से संबंधित गतिविधियाँ—जैसे जारी करना, सत्यापन और नवीनीकरण—राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हैं। इन्हें ग्राम पंचायत जैसी पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से पूरा किया जाता है। जॉब कार्ड सत्यापन एक निरंतर प्रक्रिया है, जबकि जॉब कार्ड का नवीनीकरण पाँच वर्षों में एक बार किया जाता है। इन वैधानिक प्रक्रियाओं को सरल और समर्थ बनाने हेतु राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे एनएमएमएस (राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली) ऐप में उपलब्ध ई-केवाईसी सुविधा का उपयोग जॉब कार्ड सत्यापन और निर्धारित प्रक्रिया के बाद नवीनीकरण के लिए करें। यह सुविधा राज्यों को समयबद्ध, पारदर्शी और कुशल तरीके से सत्यापन पूरा करने में मदद करेगी। चूँकि 99.67 प्रतिशत सक्रिय श्रमिकों के आधार पहले से ही जोड़े जा चुके हैं, इसलिए ई-केवाईसी जॉब कार्ड सत्यापन का सरल, विश्वसनीय, सटीक और प्रभावी तरीका हो सकता है। ई-केवाईसी प्रक्रिया के दौरान ग्राम रोजगार सहायक/कार्यस्थल पर्यवेक्षक/मेट/अन्य ग्राम पंचायत स्तरीय अधिकारी, एनएमएमएस ऐप के ई-केवाईसी फीचर के माध्यम से मनरेगा श्रमिक की तस्वीर लेते हैं। इसे वास्तविक समय में आधार विवरण से डिजिटल रूप से सत्यापित किया जाता है। एक श्रमिक का पूरा प्रोसेस एक मिनट से भी कम समय में पूरा हो जाता है। राज्यों को निर्देश दिया गया है कि नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी समस्याएँ दूर कर प्रक्रिया को यथासंभव सुगम बनाया जाए। ई-केवाईसी कहीं भी किया जा सकता है, जिसे राज्य तय करे – कार्यस्थल पर, ग्राम पंचायत द्वारा आयोजित विशेष शिविरों में। यह एक प्रगतिशील कदम है जिसका उद्देश्य मनरेगा में पारदर्शिता, दक्षता और सेवा प्रदान में आसानी को बढ़ाना है। राज्यों और जमीनी स्तर के कार्मिकों को प्रक्रिया सुचारू रूप से चलाने हेतु पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित व संवेदनशील बनाया गया है। अभी तक राज्यों ने 56 प्रतिशत से अधिक सक्रिय श्रमिकों का ई-केवाईसी पूरा कर लिया है। मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे और प्रत्येक वास्तविक श्रमिक के अधिकार सुरक्षित रहें और उन्हें बिना किसी व्यवधान के अधिनियम के अंतर्गत अपनी वैधानिक मजदूरी-रोज़गार प्राप्त होता रहे।
जहाँ तक जॉब कार्ड/श्रमिकों के हटाने (डिलीशन) का संबंध है। मंत्रालय ने 24 जनवरी 2025 को एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एस ओ पी) जारी की थी। इस एस ओ पी में राज्यों के लिए स्पष्ट, एकरूप और पारदर्शी दिशा-निर्देश दिए गए हैं ताकि जॉब कार्ड रिकॉर्ड के प्रबंधन में निष्पक्षता, जवाबदेही और श्रमिकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। मनमाने या गलत तरीके से हटाने को रोकने के लिए एस ओ पी में पर्याप्त सुरक्षा उपाय शामिल किए गए हैं। इस एस ओ पी का कड़ाई से पालन करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है और मंत्रालय इसकी कड़ी निगरानी करता है। मंत्रालय प्रतिबद्ध है कि सभी इच्छुक ग्रामीण परिवारों को मनरेगा केअंतर्गत उनके अधिकार सुनिश्चित हों और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनी रहे।

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Author: ntuser1

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