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सावन में दही और साग खाने की क्यों होती है मनाही, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

सावन के महीने में दही और साग खाने की मनाही को लेकर धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण हैं। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं:

धार्मिक कारण:

  1. शिव भक्तिपद्धति: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में श्रद्धालु उनके पूजन और व्रत का पालन करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि दही और साग जैसे कुछ खाद्य पदार्थ इस माह में विशेष रूप से ग्रहण करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह भगवान शिव की पूजा और व्रत के अनुशासन के खिलाफ माना जाता है।
  2. मासिक पूजा और व्रत: इस महीने में कई लोग उपवासी रहते हैं और विशेष आहार का पालन करते हैं, जिसमें कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाता है। यह भी मान्यता है कि दही और साग इस दौरान विशेष रूप से हानिकारक हो सकते हैं या शुभ नहीं होते।

वैज्ञानिक कारण:

  1. मौसमी परिवर्तन: सावन के महीने में मौसम में बदलाव होता है। यह महीने की शुरुआत में बरसात की स्थिति होती है और फिर धीरे-धीरे ठंडक बढ़ने लगती है। इस समय में दही जैसे खाद्य पदार्थ जल्दी खराब हो सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
  2. पाचन संबंधी मुद्दे: इस समय पाचन तंत्र की स्थिति भी बदल जाती है। बरसात के मौसम में आर्द्रता बढ़ जाती है, जिससे पाचन तंत्र पर असर पड़ सकता है। दही और साग जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन पाचन समस्याओं को बढ़ा सकता है, जैसे कि गैस, ऐसिडिटी या अपच।
  3. बैक्टीरिया और फंगस: बारिश के मौसम में बैक्टीरिया और फंगस के विकास की संभावना बढ़ जाती है। दही और साग जैसे खाद्य पदार्थों में ये सूक्ष्मजीव जल्दी पनप सकते हैं, जिससे खाद्य विषाक्तता की संभावना बढ़ जाती है।
इन दोनों दृष्टिकोणों को समझकर, यह कहा जा सकता है कि सावन के महीने में दही और साग का सेवन धार्मिक मान्यताओं और मौसम के कारण सीमित किया जाता है।
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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