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UP: इस रणनीति से अगड़े-पिछड़े में बंटे हिंदू समाज को साध रहे सीएम योगी, ये भाव जगाकर बड़ी लकीर खींचने का प्लान

सीएम योगी आदित्यनाथ विधानसभा उपचुनाव में अगड़े-पिछड़े में बंटे हिंदू समाज को साधने में जुटे हैं। जातीय खांचे में बंटे लोगों में हिंदू होने का भाव जगाकर बड़ी लकीर खींचने की रणनीति है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के मुद्दे पर विपक्ष की चुप्पी पर सवाल उठाया है।
विधानसभा उपचुनाव में अयोध्या की मिल्कीपुर और अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट की जिम्मेदारी लेने के सीएम योगी आदित्यनाथ के फैसले को भले ही सियासी कदम माना जा रहा हो, पर इसके मायने दूरगामी हैं।
दोनों सीटों की चुनावी तैयारियों के दौरान योगी जिस तरह बांग्लादेश में 90 फीसदी दलित हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर सपा-कांग्रेस की चुप्पी पर निशाना साध रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि वे अगड़ा, पिछड़ा और दलित के जातीय खांचे में बंटे लोगों में सिर्फ हिंदू होने का भाव जगाकर बड़ी लकीर खींचने में भी जुटे हैं।
इस उपचुनाव के बहाने योगी जिस तरह प्रखर हिंदुत्व के एजेंडे को धार दे रहे हैं उसका असर उपचुनाव में ही नहीं, बल्कि 2027 के चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। दरअसल, अयोध्या भाजपा के लिए प्रतिष्ठा और आस्था का बड़ा केंद्र रहा है।
इसलिए पार्टी को यह उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर जातीय वोटबैंक नहीं, बल्कि हिंदू वोटबैंक के बल पर चुनाव जीत लेंगे, लेकिन परिणाम इसके उलट आया। इसकी वजह यह थी कि विपक्ष के संविधान में बदलाव और आरक्षण खत्म करने के दांव ने हिंदुओं को अगड़े-पिछड़े में बांट दिया।
इससे सबक लेते हुए पार्टी फिर अगड़े-पिछड़े में बंटे समाज को एक हिंदू वोटबैंक के तौर पर तैयार करने के प्रयास में जुटी है। इसकी जिम्मेदारी खुद सीएम योगी ने अपने कंधे पर ली है।

यूं ही नहीं संभाला दोनों सीटों का प्रबंधन

मिल्कीपुर और कटेहरी सीट पर चुनाव प्रबंधन योगी के खुद संभालने के पीछे दो प्रमुख वजहें बताई जा रही हैं। एक तो यह कि वे लोकसभा चुनाव में हार के बाद से भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर विपक्ष के सवालों का मुंहतोड़ जवाब दें सके।
दूसरा यह कि रामनगरी की धरती से अगड़े-पिछड़े में बंटे हिंदू समाज को फिर एकजुट करने की मुहिम शुरू कर पूरे प्रदेश के दलित और पिछड़ों को विपक्ष की कुटनीति के बारे में जागृत किया जा सके।
दोनों सीटों पर हाल में हुई सभाओं में सीएम ने जिस प्रकार भाजपा शासन में अयोध्या में हुए विकास और उससे मिली नई पहचान का जिक्र कर अयोध्यावासियों को इसे बचाए रखने के लिए प्रेरित किया, वहीं नकारात्मक शक्तियों (विपक्ष) पर यहां की जनता को दिखावटी सम्मान देने का आरोप लगाकर सचेत भी कर रहे हैं। सीएम के भाषणों के सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे है।
हिंदुत्व का साफ संदेश
सीएम के भाषणों में सबसे ज्यादा फोकस बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर रहा है। इसमें वे सबसे अधिक जोर इस बात पर दे रहे हैं कि इस मुद्दे पर विपक्ष के लोग चुप्पी साधे हैं। योगी यह भी जता रहे हैं कि हम हारे या जीतें, लेकिन कोई हमें हमारे मूल्यों (हिंदुत्व) से भटका नहीं सकता है।
माना जा रहा है कि उपचुनाव में बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा उठाकर योगी यह भी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि सुरक्षित रहने के लिए अगड़े-पिछड़े में बंटना घातक हो सकता है। इसलिए योगी बार-बार बांग्लादेश में प्रताड़ित होने वाले हिंदुओं में 90 फीसदी दलित समाज की बात उठा रहे हैं।

हिंदू वोटबैंक न बनने का खामियाजा भुगत रहा समाज

अपने भाषणों में सीएम अगड़े-पिछड़े में बंटे हिंदू समाज को यह भी समझाने का भी प्रयास कर रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर विपक्ष ने इसलिए चुप्पी साध रखी है, क्योंकि यहां पर हिंदू कोई वोटबैंक नहीं रह गया है।
हिंदू जातीय खांचों में बंट गया है, इसलिए सपा-कांग्रेस जैसे दलों के नेता इनको आपस में लड़ाकर सिर्फ अपना हित साध रहे हैं। इन जातियों के हितों से उनका कोई लेनादेना नहीं है।)
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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