जयपुर: राजस्थान के जयपुर में हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पार्षदों का एक अनोखा ‘शुद्धिकरण’ किया गया। भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने पार्टी में शामिल होने वाले इन नेताओं पर गंगाजल और गोमूत्र का छिड़काव कर उनका स्वागत किया। यह घटना जयपुर की हवा महल विधानसभा सीट की है, जहां विधायक बालमुकुंद आचार्य ने इस प्रक्रिया को धार्मिक परंपराओं के अनुसार संपन्न किया।
कांग्रेस पार्षदों का बीजेपी में शामिल होना
25 सितंबर को कांग्रेस के सात पार्षद और एक निर्दलीय पार्षद ने भाजपा का दामन थाम लिया। इनके समर्थन से जयपुर नगर निगम हेरिटेज (JMCH) की मेयर कुसुम यादव ने 26 सितंबर को कार्यभार संभाला। भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य, जो हाथोज धाम मंदिर के महंत के रूप में भी लोकप्रिय हैं, ने मेयर के पदभार ग्रहण करने से पहले JMCH परिसर का भी ‘शुद्धिकरण’ किया।
गंगाजल और गोमूत्र से किया शुद्धिकरण
इस पूरे आयोजन के दौरान विधायक आचार्य ने पार्षदों और अधिकारियों पर गंगाजल और गोमूत्र के मिश्रण का छिड़काव किया, और प्रतीकात्मक रूप से उन्हें पिलाया भी। उनका कहना था कि यह ‘शुद्धिकरण’ उनकी सनातन परंपराओं का हिस्सा है, और पार्षदों पर लगे कथित भ्रष्टाचार के दाग भी इससे मिट गए हैं। आचार्य ने बताया, “गंगाजल और गोमूत्र पीने के बाद अब ये सभी सनातनी हो चुके हैं और वैदिक मंत्रों का उच्चारण उनके कानों में जा चुका है।”
विपक्ष के आरोप और भाजपा का बचाव
यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि विपक्ष अक्सर भाजपा पर यह आरोप लगाता है कि वह एक ‘वाशिंग मशीन’ की तरह काम करती है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेता पार्टी में शामिल होते ही ‘शुद्ध’ हो जाते हैं। जयपुर में हुए इस शुद्धिकरण ने इस आरोप को और बल दिया है। हालांकि, भाजपा के स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा थी, न कि राजनीतिक संकेत।
मेयर कुसुम यादव का पदभार संभालना
भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पूर्व JMCH मेयर मुनेश गुर्जर को पद से हटा दिया था और उनकी जगह कुसुम यादव को उम्मीदवार बनाया। कुसुम यादव ने हनुमान चालीसा के पाठ और जय श्री राम के नारों के साथ कार्यभार संभाला। उनके समर्थन में शामिल हुए पार्षदों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद यह शुद्धिकरण प्रक्रिया अपनाई गई।
यह घटना राजनीति और धर्म के मेल का एक उदाहरण है, जो राजस्थान की सियासी परिदृश्य में एक अनोखी चर्चा का विषय बनी हुई है। भाजपा के इस कदम ने एक बार फिर विपक्षी दलों को निशाना साधने का मौका दिया है, जबकि पार्टी इसे अपनी परंपराओं और संस्कृति का हिस्सा मान रही है।
