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50 से ज्यादा दवाएं ड्रग क्वालिटी टेस्ट में फेल: सीडीएससीओ की रिपोर्ट से चिंता बढ़ी

हाल ही में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने 50 से ज्यादा ऐसी दवाओं की पहचान की है, जो ड्रग क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं। इन दवाओं में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली पैरासिटामोल भी शामिल है, जिसका सर्दी-जुकाम, दर्द और बुखार में अक्सर उपयोग होता है। इसके अलावा, कैल्शियम और विटामिन-डी3 सप्लीमेंट, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की कई दवाओं को भी ‘मानक गुणवत्ता’ की नहीं माना गया है।
 दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल
सीडीएससीओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दवाओं का उपयोग व्यापक रूप से किया जा रहा है, जिससे यह चिंता का विषय बन गया है। नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी (एनएसक्यू) के तहत इन दवाओं की पहचान की गई है, जिसका मतलब है कि ये दवाएं गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतरतीं। रिपोर्ट के अनुसार, यह सूची हर महीने जारी की जाती है और इसका मकसद दवाओं की गुणवत्ता पर नजर रखना और दोषपूर्ण दवाएं बेचने वाली कंपनियों पर कार्रवाई करना है।

 लोगों के मन में सवाल
रिपोर्ट के सामने आने के बाद से लोगों में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब इन दवाओं का उपयोग बंद कर देना चाहिए। डॉक्टरों के अनुसार, एनएसक्यू के अंतर्गत आने वाली दवाएं आमतौर पर गंभीर रूप से नुकसानदायक नहीं होतीं, लेकिन फिर भी यह स्थिति चिंता का कारण है।
 स्वास्थ्य विशेषज्ञों का नजरिया
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि 53 दवाओं का क्वालिटी टेस्ट में फेल होना एक गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी स्थिति में हैं, जहां एक तरफ भारत दुनिया की फार्मा राजधानी है, वहीं दूसरी तरफ दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दवाओं की क्वालिटी चेक में पारदर्शिता जरूरी
डॉ. शुचिन कहते हैं कि दवाओं की गुणवत्ता को लेकर अक्सर नकली दवाओं का मुद्दा उठता रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि दवाओं पर क्यूआर कोड या अन्य ऐसे तरीकों का इस्तेमाल होना चाहिए, जिनसे उनकी गुणवत्ता जांची जा सके। उन्होंने कहा कि एनएसक्यू दवाओं से बचने के लिए सर्टिफाइड प्लांट्स में बनी दवाओं का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
 क्या इन दवाओं का इस्तेमाल करें?
डॉ. श्रेय श्रीवास्तव का कहना है कि एनएसक्यू रिपोर्ट में शामिल कई दवाओं का डॉक्टर भी ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते थे। लोगों को इस रिपोर्ट से घबराने की जरूरत नहीं है। ओवर-द-काउंटर दवाओं का इस्तेमाल कम करने से दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
दवाओं की गुणवत्ता पर आए इस नए खुलासे ने स्वास्थ्य जगत में एक बड़ी चिंता को जन्म दिया है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है, फिर भी यह समय है कि दवाओं के इस्तेमाल को लेकर लोग अधिक सतर्क हो जाएं और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही दवाओं का उपयोग करें।
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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