लखनऊ: लेबनान के हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह की हत्या की खबर मिलते ही कश्मीर से लेकर लखनऊ तक शिया मुसलमानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। नसरुल्लाह के समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर इजरायल के खिलाफ नारेबाजी की और उनकी हत्या के विरोध में आवाज उठाई।
शुक्रवार को बड़गाम में महिलाओं ने एक बड़ी रैली निकाली, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने “नसरुल्लाह हमारी जिंदगी है” के नारे लगाए। लखनऊ में भी स्थिति कुछ अलग नहीं रही, जहां शिया समुदाय के लोगों ने दरगाह हज़रत अब्बास पर पोस्टर लगाकर तीन दिन तक शोक मनाने का ऐलान किया। शिया बहुल्य इलाकों में दुकानों को बंद रखा गया और दुकानों के बाहर नसरुल्लाह और हिज़्बुल्लाह के पोस्टर लगाए गए।
हालांकि, इस विरोध के बीच सवाल उठता है कि जब इजरायल ने नसरुल्लाह को मारा, तो यहां बंद का ऐलान क्यों किया गया? “घर-घर से नसरुल्लाह निकलेगा” जैसे नारे क्यों लगे? क्या वास्तव में कश्मीर से लेकर उत्तर प्रदेश में हिज़्बुल्लाह के इतने ‘हितैषी’ हैं?
कैंडल मार्च और नेताओं की प्रतिक्रियाएं
नसरुल्लाह की मौत के बाद लखनऊ में एक कैंडल मार्च का आयोजन किया गया। यह मार्च छोटे इमामबाड़े से शुरू होकर बड़े इमामबाड़े तक गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और इजरायल तथा अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी की।
प्रदर्शनकारियों ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ कड़े शब्दों में नारे लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायल और अमेरिका लगातार मध्य पूर्व में हिंसा और अस्थिरता को बढ़ावा दे रहे हैं। बड़े इमामबाड़े पहुंचने के बाद उपस्थित लोगों ने नसरुल्लाह की मौत पर शोक व्यक्त किया और मातम मनाया।
इस मौके पर कई नेताओं ने भाषण दिए और इजरायल की नीतियों की कड़ी आलोचना की। नेताओं ने कहा कि हिज़्बुल्लाह नेता नसरुल्लाह ने हमेशा अपने लोगों के हक के लिए आवाज़ उठाई और उनकी शहादत से संघर्ष और मजबूत होगा।
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी और पुलिस प्रशासन ने मार्च की निगरानी की। विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नसरुल्लाह की हत्या पर शिया समुदाय में गहरी नाराजगी और शोक का माहौल है।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.