आठ दिन पहले शृंग्वेरपुर के गऊघाट आश्रम मंदिर से चोरी हुई श्रीराधा-कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद बरामद हो गई। चोर ने अपनी गलती का पश्चाताप करते हुए एक माफीनामा लिखा और मूर्ति को सड़क किनारे छोड़ दिया। माफीनामे में उसने लिखा कि भगवान की मूर्ति चुराने के बाद से उसका बेटा बीमार हो गया है और उसे लगातार बुरे सपने आ रहे हैं, जिससे उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
राधा-कृष्ण की मूर्ति का बरामद होना
शृंग्वेरपुर धाम के गऊघाट आश्रम से राधा-कृष्ण की 100 साल पुरानी अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी, जिसे आठ दिन बाद हाईवे के सर्विस मार्ग से बरामद किया गया। जब मंगलवार की सुबह करीब 11:30 बजे किसी ने मूर्ति को हंडिया-कोखराज के सर्विस मार्ग पर देखा, तो उन्होंने तुरंत आश्रम के महंत को सूचना दी। इसके बाद स्थानीय पुलिस और आश्रम के पुजारी मौके पर पहुंचे। मूर्ति के पास ही एक पत्र मिला, जिसमें चोर ने अपनी गलती स्वीकार की और भगवान से माफी मांगी थी।
चोर का पश्चाताप और माफीनामा
चोरी के बाद से ही चोर को बुरे अनुभवों का सामना करना पड़ा। माफीनामे में उसने लिखा, “महाराज जी प्रणाम, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई थी। अज्ञानतावश मैंने राधा-कृष्ण की मूर्ति गऊघाट से चुरा ली थी। जबसे मूर्ति चुराई है, तब से बुरे-बुरे सपने आ रहे हैं और मेरे बेटे की तबीयत भी बहुत खराब हो गई है। थोड़े पैसों के लिए मैंने बहुत गंदा काम किया।”
चोर ने यह भी स्वीकार किया कि मूर्ति को बेचने के लिए उसने उसके साथ छेड़छाड़ की और उसका आकार बदलने के लिए उसकी पॉलिश कराई। उसने निवेदन किया कि उसकी गलती को माफ कर भगवान की मूर्ति को वापस मंदिर में स्थापित कर दिया जाए।
महंत ने मूर्ति की शुद्धि कर स्थापित की
मूर्ति के बरामद होने के बाद, महंत स्वामी जयराम दास महाराज ने मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराया और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर मूर्ति को पुनः मंदिर में स्थापित कर दिया। उन्होंने बताया कि यह मूर्ति 100 साल से भी अधिक पुरानी है और आश्रम के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
समाज में घटना की चर्चा
चोरी और माफीनामे का यह मामला सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग चोर की पश्चाताप की भावना पर हैरानी जता रहे हैं और इस पूरी घटना को भगवान के चमत्कार से जोड़ रहे हैं। स्थानीय पुलिस ने इस मामले की जांच जारी रखी है और मूर्ति को पुनः आश्रम में स्थापित किए जाने के बाद से लोगों में शांति का माहौल है।

Author: Sweta Sharma
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