महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो चुकी हैं। 288 सीटों वाले इस राज्य में दीपावली के बाद चुनाव होने की उम्मीद है, और दोनों प्रमुख गठबंधन—सत्ताधारी महायुति (एनडीए) और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए)—सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
एनडीए में सीटों पर सहमति लगभग पूरी
महाराष्ट्र में फिलहाल महायुति की सरकार है, जिसमें भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी (अजीत गुट) शामिल हैं। महायुति में सीटों के बंटवारे को लेकर कई दौर की मैराथन बैठकें हो चुकी हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 235 सीटों पर सहमति बन चुकी है, और बाकी 53 सीटों पर जल्द फैसला होने की उम्मीद है।
भाजपा 155 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि शिवसेना (शिंदे गुट) को 60 से अधिक सीटें मिलने की संभावना है। अजित पवार की एनसीपी को 60-65 सीटें मिलेंगी। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने बताया कि महायुति के 235 उम्मीदवारों की पहली सूची दशहरे यानी 12 अक्तूबर को जारी होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अजित पवार अपने पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र बारामती से ही चुनाव लड़ेंगे।
महाविकास अघाड़ी में भी अंतिम चरण में पहुंची बातचीत
वहीं, विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में भी सीट बंटवारे को लेकर मंथन जारी है। एमवीए के प्रमुख घटक दलों—कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), और शरद पवार की एनसीपी (शरद गुट)—ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए कई दौर की बैठकें की हैं।
एमवीए के सीट बंटवारे में कांग्रेस 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, शिवसेना (यूबीटी) को भी 100 के आसपास सीटें मिलेंगी, जबकि एनसीपी (शरद गुट) को 80 से अधिक सीटें मिलने की उम्मीद है।
चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है। चुनाव आयोग दशहरे के बाद कभी भी चुनाव की तारीखों का एलान कर सकता है। संभावना जताई जा रही है कि झारखंड के साथ महाराष्ट्र में नवंबर में चुनाव कराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग की टीम पहले ही राज्य में तैयारियों का जायजा ले चुकी है।
चुनावों की बढ़ती गर्मी
महाराष्ट्र का चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प होने की उम्मीद है, क्योंकि एनडीए और एमवीए दोनों ही गठबंधन अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं। दोनों गठबंधनों के बीच सीटों के चयन के दौरान कुछ सीटों पर विवाद की स्थिति भी बनी हुई है, जिसे सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की कोशिश की जा रही है।
अंतिम सीट आवंटन और उम्मीदवारों की सूची के साथ ही चुनाव प्रचार अभियान और भी तेज हो जाएगा, जिससे महाराष्ट्र का राजनीतिक तापमान और बढ़ने वाला है।

Author: Sweta Sharma
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