अयोध्या के मिल्कीपुर उपचुनाव में एक नया मोड़ आ गया है, जब बीजेपी के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने अपनी याचिका वापस ले ली है। इससे अब सवाल खड़ा हो गया है कि क्या 13 नवंबर को मिल्कीपुर में चुनाव हो पाएगा। मंगलवार को चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की 10 सीटों में से सिर्फ 9 पर चुनाव कराने का फैसला किया था, जबकि मिल्कीपुर सीट का चुनाव टाल दिया गया था।
बुधवार सुबह इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में बाबा गोरखनाथ ने समाजवादी पार्टी के नेता अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को लेकर दाखिल अपनी याचिका वापस ले ली। जब यह याचिका दायर की गई थी, तब अवधेश मिल्कीपुर से विधायक थे, लेकिन अब वे फैज़ाबाद से सांसद हैं। याचिका वापस लेने के बाद चुनाव आयोग की ओर से अब मिल्कीपुर में उपचुनाव कराने पर सभी की नजर है। जानकारों का मानना है कि अब याचिका वापस होने के बाद चुनाव संभव हो सकते हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले पर बड़ा बयान देते हुए कहा था कि जिसने जंग टाली है, उसने जंग हारी है। पार्टी का दावा है कि बीजेपी और चुनाव आयोग की मिलीभगत से चुनाव टाले गए हैं। वहीं, बीजेपी के पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि कोर्ट में याचिका लंबित होने के कारण चुनाव टाला गया था।
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव ने योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच सीधा मुकाबला बना दिया है। अयोध्या और फैज़ाबाद क्षेत्र की अहमियत को देखते हुए दोनों ही पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यहां पर हिंदुत्व की प्रयोगशाला मानी जा रही फैज़ाबाद सीट पर जीत हासिल की थी, जो बीजेपी के लिए बड़ा झटका था। अब बीजेपी इस उपचुनाव को जीतकर समाजवादी पार्टी की पिछली जीत को महज एक संयोग साबित करना चाहती है।
बाबा गोरखनाथ ने एक खास बातचीत में बताया कि उन्होंने अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उनके वकील का रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुका था। उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उनकी याचिका के कारण चुनाव की तारीख़ों की घोषणा नहीं होगी, इसलिए उन्होंने कोर्ट में याचिका वापस लेने का फैसला किया।
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Author: Sweta Sharma
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