सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को रोकने की याचिका पर सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता की अपील पर कड़ा संज्ञान लेते हुए याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही पीठ ने चेतावनी दी कि इस तरह की याचिका दायर करने पर याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
‘हम निर्वाचित सरकार को शपथ लेने से कैसे रोक सकते हैं?’
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में शपथ ग्रहण समारोह को रोकने के अनुरोध को अनुचित ठहराते हुए कहा, “हम निर्वाचित सरकार को शपथ लेने से कैसे रोक सकते हैं?” यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उस वक्त की जब याचिका का उल्लेख तत्काल सुनवाई के लिए किया गया। सीजेआई ने याचिकाकर्ता को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी याचिका दाखिल करने पर जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम आपको सतर्क कर रहे हैं। कागजात मुहैया कराएं, हम देखेंगे।”
जुर्माने की चेतावनी
पीठ ने याचिकाकर्ता से तीनों न्यायाधीशों के लिए याचिका की तीन प्रतियां प्रस्तुत करने को कहा और यह स्पष्ट किया कि इस तरह की याचिका पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि निर्वाचित सरकार को शपथ लेने से रोकने की मांग करना असंवैधानिक है।
नायब सैनी का शपथ ग्रहण समारोह
गुरुवार को पंचकूला में आयोजित एक भव्य समारोह में नायब सिंह सैनी दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता और एनडीए के सहयोगी मौजूद रहेंगे। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय नायब सैनी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। सैनी के लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर पार्टी में भी उत्साह का माहौल है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि एक निर्वाचित सरकार को अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने से रोका नहीं जा सकता।

Author: Sweta Sharma
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