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यूपी के मदरसों को बड़ी राहत: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 को दी संवैधानिक मान्यता

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लगभग 16,000 मदरसों के लिए मंगलवार का दिन बड़ी राहत लेकर आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 को संवैधानिक वैधता प्रदान करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया। इस फैसले के बाद राज्य में मदरसे, जहां करीब 17 लाख छात्र पढ़ते हैं, दीनी तालीम और सामान्य शिक्षा का संचालन जारी रख सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है और अल्पसंख्यकों के शिक्षा के अधिकार को सुरक्षित रखता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह अधिनियम मदरसों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि शिक्षा के मानकों को सुधारने के लिए लागू किया गया है।

कोर्ट ने क्यों पलटा इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला?

इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मार्च 2023 में मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि सरकार के फंड से मदरसों को चलाना धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी मदरसा छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाया जाए।
मदरसों ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनका कहना था कि इससे 17 लाख छात्र और 10,000 शिक्षक प्रभावित होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों के तर्कों को सही मानते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी और 22 अक्टूबर को अपना अंतिम निर्णय सुरक्षित रख लिया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और शिक्षा का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए और शिक्षा का अधिकार अधिनियम का अर्थ यह है कि राज्य सरकार अल्पसंख्यक संस्थानों में भी धर्मनिरपेक्ष शिक्षा सुनिश्चित कर सकती है, बशर्ते वह अल्पसंख्यक चरित्र को प्रभावित न करे। जस्टिस पारडीवाला ने कहा कि देश में विभिन्न धार्मिक संस्थाएं भी सामान्य शिक्षा प्रदान कर सकती हैं और इसका मतलब यह नहीं कि वे सिर्फ धार्मिक शिक्षा ही दें।

मदरसों के लिए क्या हैं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश?

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह मदरसों के लिए न्यूनतम शैक्षिक मानदंड तय कर सकती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों को अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सके। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मदरसा एक्ट का उद्देश्य शिक्षा के मानकों को बेहतर बनाना है और मदरसों के संचालन में हस्तक्षेप नहीं करना है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि मदरसे भी अपने छात्रों को सभ्य जीवन जीने के लिए आवश्यक शिक्षा प्रदान करें।

क्या हैं मदरसा एक्ट के प्रमुख बिंदु?

  • सरकार के अधीन: 2004 में यूपी मदरसा एक्ट लागू किया गया था, जिसके तहत राज्य के सभी मदरसों को सरकार के नियमों के अधीन लाया गया है।
  • वित्त पोषण और शिक्षा का अधिकार: लगभग 560 मदरसों को राज्य सरकार द्वारा फंड मिलता है, जबकि अन्य 16,000 मदरसे पंजीकृत हैं और सरकार के नियमों के तहत संचालित होते हैं।
  • शिक्षा के मानक: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और मदरसा बोर्ड के पास शिक्षा के मानकों को निर्धारित करने की शक्ति है।

अल्पसंख्यकों की शिक्षा को सुरक्षित करने की पहल

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अल्पसंख्यक संस्थानों में शिक्षा के अधिकार को लेकर एक मिसाल बन सकता है। फैसले के अनुसार, अल्पसंख्यक संस्थानों को उनके मूल उद्देश्य के अनुसार शिक्षा देने की अनुमति है, लेकिन राज्य भी उनके शिक्षण मानकों को बनाए रखने में भूमिका निभा सकता है।
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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