महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज की विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में शुक्रवार रात आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में झुलसे और दम घुटने से प्रभावित 45 अन्य बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया है, जिनका इलाज जारी है। घटना के बाद अस्पताल परिसर में कोहराम मच गया।
घटना का विवरण
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रात करीब पौने 11 बजे एनआईसीयू वार्ड से धुआं निकलता दिखा। कुछ ही देर में आग ने वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से शुरू हुई आग तेजी से फैल गई। दरवाजे पर लपटें और धुआं होने के कारण बच्चों को समय रहते बाहर निकालना मुश्किल हो गया। 15 दमकल गाड़ियां और सेना की टीम ने मिलकर आग पर काबू पाया और बचाव कार्य शुरू किया।
मुआवजे की घोषणा और जांच के निर्देश
सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। घायलों के परिजनों को पचास हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। उन्होंने 12 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
डिप्टी सीएम और चिकित्सा मंत्री ब्रजेश पाठक घटनास्थल पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जांच के लिए गठित कमेटी
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पहली जांच स्वास्थ्य विभाग करेगा।
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दूसरी जांच पुलिस प्रशासन और अग्निशमन विभाग की संयुक्त टीम करेगी।
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तीसरी जांच मजिस्ट्रियल स्तर पर होगी।
डिप्टी सीएम पाठक ने कहा कि फायर सेफ्टी ऑडिट फरवरी में किया गया था और जून में मॉक ड्रिल भी हुई थी। जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि आग कैसे लगी।
परिजनों में कोहराम
अस्पताल में बच्चों की मौत से माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। बच्चे को खोने का गम उन्हें संभालने नहीं दे रहा। वार्ड से सुरक्षित निकाले गए बच्चों का इलाज जारी है।
मंडलायुक्त और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का बयान
मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने बताया कि वार्ड में 55 नवजात भर्ती थे, जिनमें से 45 को बचा लिया गया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहौर ने बताया कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से आग लगी और कमरे में अत्यधिक ऑक्सीजन होने के कारण आग तेजी से फैल गई।
फायर सेफ्टी पर सवाल
घटना ने अस्पताल की फायर सेफ्टी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेज की बिजली काट दी और तत्काल रेस्क्यू कार्य शुरू किया। सेना और दमकल विभाग की तत्परता से बड़ी संख्या में बच्चों को सुरक्षित बचाया जा सका।
आगे की कार्रवाई
सरकार ने मृतकों के परिजनों को सहायता राशि देने के साथ-साथ घटना की विस्तृत जांच कराने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद हादसे की असली वजह का खुलासा हो सकेगा।
यह घटना न केवल झांसी बल्कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं और सुरक्षा प्रबंधन को लेकर चिंता बढ़ा रही है।

Author: Sweta Sharma
I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.