नई दिल्ली : अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के प्रमुख आरोपी क्रिश्चियन मिशेल की जमानत याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई से जवाब मांगा है। मिशेल को इस घोटाले में कथित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भारत में गिरफ्तार किया गया था, और वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब देने को कहा है।पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी कर रहे हैं। चार सप्ताह के भीतर इस पर जवाब दाखिल करें।’’
कथित घोटाला अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की खरीद से संबंधित है।
क्रिश्चियन मिशेल पर आरोप है कि उसने 2010 में 3600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में भ्रष्टाचार और पैसे के लेन-देन में शामिल होने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी थी। उनका नाम इस मामले में विशेष रूप से उभरा है, और वह मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में भी आरोपी हैं।
मिशेल की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने सीबीआई से जवाब मांगा कि क्यों उसे जमानत दी जाए, जबकि अभियुक्त के खिलाफ आरोप गंभीर हैं। सीबीआई को इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया है, और अगली सुनवाई के दौरान अदालत को इस मामले पर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा गया है।
इस मामले में क्रिश्चियन मिशेल की जमानत याचिका पर सुनवाई से जुड़ी पूरी प्रक्रिया पर अदालत की नज़र रहेगी, क्योंकि यह घोटाला भारतीय राजनीति और सुरक्षा मामलों से जुड़ा हुआ है।
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में क्रिश्चियन मिशेल की जमानत याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई से विस्तृत जवाब मांगा है। इस मामले में मिशेल एक प्रमुख आरोपी हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए बिचौलिए के रूप में काम किया, ताकि भारतीय वायुसेना के लिए इटली की अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से 12 हेलीकॉप्टर खरीदने का सौदा किया जा सके।
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला 2010 में सामने आया था, जब यह जानकारी मिली कि भारतीय वायुसेना के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने के सौदे में भ्रष्टाचार हुआ था। यह सौदा 3600 करोड़ रुपये का था, जिसमें कथित तौर पर कई भारतीय अधिकारियों और नेताओं के साथ मिलकर रिश्वत दी गई। क्रिश्चियन मिशेल पर आरोप है कि वह इस सौदे में बिचौलिए के रूप में काम कर रहे थे और उन्होंने रिश्वत के रूप में करोड़ों रुपये का लेन-देन किया।
मिशेल को 2018 में दुबई से भारत लाया गया था और उन पर भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। फिलहाल वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्होंने अपनी जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उनका कहना था कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है और वे केवल एक बिचौलिए के रूप में कार्य कर रहे थे, न कि अपराधी के तौर पर।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई से इस पर जवाब मांगा है कि क्यों मिशेल को जमानत न दी जाए, क्योंकि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं और उनकी जमानत पर अदालत की राय महत्वपूर्ण हो सकती है। अदालत ने इस मामले में 7 दिसंबर को फिर से सुनवाई करने की तारीख तय की है।
इसके अलावा, सीबीआई ने क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाने के बाद कहा था कि वे जांच में पूरी तरह से सहयोग नहीं कर रहे हैं, और उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। इन आरोपों के आधार पर ही सीबीआई ने उनकी जमानत याचिका का विरोध किया था।
जेम्स ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 25 सितंबर के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने 25 सितंबर के आदेश में मामले में जेम्स को जमानत देने से इनकार कर दिया था। ब्रिटिश नागरिक जेम्स को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।
उच्च न्यायालय ने पहले जेम्स की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि जब उसकी पिछली जमानत याचिकाएं खारिज की गई थीं, तब से परिस्थितियों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है। वह इस मामले में जांच के दायरे में आए तीन कथित बिचौलियों में से एक है, जबकि अन्य दो बिचौलिए गुइडो हैश्के और कार्लो गेरोसा हैं।
सीबीआई के आरोपपत्र में आरोप लगाया गया है कि आठ फरवरी, 2010 को 55.62 करोड़ यूरो मूल्य के वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की आपूर्ति के लिए हुए सौदे के कारण सरकारी खजाने को 39.82 करोड़ यूरो (लगभग 2,666 करोड़ रुपये) का अनुमानित नुकसान हुआ।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जून 2016 में जेम्स के खिलाफ धन शोधन से जुड़े एक मामले में दायर आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड से तीन करोड़ यूरो (करीब 225 करोड़ रुपये) प्राप्त किए थे।
शीर्ष अदालत ने सात फरवरी, 2023 को जेम्स को जमानत देने से इनकार कर दिया था और उसकी यह दलील भी खारिज कर दी थी कि उसने इन मामलों में अधिकतम सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने मार्च, 2022 में सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
यह मामला केवल एक घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय राजनीति और रक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार के बड़े मुद्दे को उजागर करता है। इस मामले में कई अन्य व्यक्ति भी आरोपी हैं, जिनकी जांच अभी भी चल रही है। क्रिश्चियन मिशेल की जमानत याचिका का निर्णय, न केवल उनके लिए, बल्कि इस घोटाले से जुड़े अन्य व्यक्तियों और सरकारी तंत्र के लिए भी अहम होगा।
