गंगा अवतरण दिवस पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
दान-पुण्य और पूजन में जुटे भक्त, शिवालयों में भी उमड़ी भीड़
निश्चय टाइम्स, लखनऊ। आज गंगा दशहरा के पावन अवसर पर काशी के सभी प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भोर से ही गंगा स्नान, दान और पूजन का सिलसिला शुरू हुआ जो देर शाम तक जारी रहेगा। श्रद्धालु दूर-दराज से आकर मां गंगा में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं, जिससे घाटों पर आस्था का दिव्य नजारा देखने को मिल रहा है। गंगा दशहरा हर वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है, जिस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इसे गंगावतरण दिवस भी कहा जाता है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण और वाल्मीकि रामायण में गंगाजी की महिमा का व्यापक वर्णन मिलता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के बाद मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं थीं। गंगा के वेग को संभालने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर पृथ्वी पर प्रवाहित किया। इस दिन शिव और गंगा दोनों की पूजा का विशेष महत्व होता है। गंगा दशहरा के दिन ‘दश’ यानी दस और ‘हरा’ यानी नाश करने का प्रतीक है। मान्यता है कि गंगा स्नान से दस प्रकार के पाप — तीन शारीरिक, चार वाचिक और तीन मानसिक समाप्त हो जाते हैं। लोग इस दिन गंगा जल से शुद्ध होकर दान करते हैं, जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी के दशाश्वमेध, अस्सी, राजेन्द्र प्रसाद और पंचगंगा घाट पर दिनभर भक्तों की भीड़ बनी हुई है। पूजन, भजन, गंगाजल से अभिषेक और शिवालयों में दर्शन के साथ यह पर्व आस्था और पवित्रता का जीवंत प्रतीक बन गया है।
