आम आदमी पार्टी (AAP) ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अपना पहला विधायक चुनकर एक बड़ी राजनीतिक सफलता हासिल की है। डोडा विधानसभा सीट से AAP के मेहराज मलिक ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार को हराकर जीत दर्ज की, जिससे अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने केंद्र शासित प्रदेश में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। यह जीत AAP के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद इस नए राजनीतिक परिदृश्य में यह पार्टी का पहला बड़ा प्रवेश है।
AAP का समर्थन कांग्रेस-एनसी गठबंधन को
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस के गठबंधन का समर्थन करेगी। AAP ने यह समर्थन का पत्र जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को भी सौंप दिया है। इस कदम से कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को राज्य में मजबूत होने का मौका मिलेगा।
हालांकि, इस समर्थन से कांग्रेस को दिल्ली में असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। AAP ने पहले ही साफ कर दिया है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं है। यह विरोधाभास इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस AAP के साथ खड़ी होगी, जबकि दिल्ली में दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ होंगी।
दिल्ली चुनाव में पेंच
दिल्ली विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं, और कांग्रेस वहां पहले से ही हाशिए पर है। हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी AAP और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई गठबंधन नहीं हो पाया था, जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा। इस स्थिति में, जहां जम्मू-कश्मीर में AAP और कांग्रेस साथ आ रहे हैं, दिल्ली में उनके बीच गठबंधन की संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की स्थिति और कमजोर
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ छह सीटें हैं, जिससे वह पहले से ही कमजोर स्थिति में है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बाद अब AAP के समर्थन से 43 सीटें हासिल कर ली हैं। ऐसे में कांग्रेस गठबंधन में ज्यादा मोलभाव नहीं कर पाएगी, और उसके मंत्री पदों की संख्या में भी कटौती हो सकती है। कुछ निर्दलीयों के समर्थन से नेशनल कॉन्फ्रेंस आराम से सरकार बना सकती है, जिससे कांग्रेस का राजनीतिक प्रभाव और भी कम हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर में AAP की इस जीत से न केवल प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ आया है, बल्कि कांग्रेस के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं। AAP का समर्थन उमर अब्दुल्ला के गठबंधन को मजबूत करेगा, लेकिन यह कांग्रेस के लिए राजनीतिक पेंच का कारण बन सकता है, खासकर जब दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की राजनीति एक-दूसरे के विरोधाभास में खड़ी नजर आ रही है।

Author: Sweta Sharma
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