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सि०सरोसी विकासखण्ड के कार्यवाहक ADO पंचायत विनोद वर्मा की अफसरशाही और सरकारी धन का दुरुपयोग: क्या है सच्चाई?

लखनऊ ब्यूरो – जिला उन्नाव। विगत कई वर्षों से सि०सरोसी विकासखण्ड में कार्यरत कार्यवाहक ADO पंचायत, विनोद वर्मा, अपनी कार्यशैली और अफसरशाही के लिए जाने जाते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उनकी अफसरशाही के कारण मुख्य विकास अधिकारी भी उन्हें स्थान्तरण करने से कतराते हैं। इसके पीछे कौन सा ऐसा प्रमुख कारण हो सकता है कि प्रशासनिक तंत्र उनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा पाता? सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उनका ऑफिसिंग क्षेत्र कई विवादों और अनियमितताओं का केंद्र बन चुका है, लेकिन किसी भी तरह की कार्यवाही को लेकर जिम्मेदार अधिकारी चुप हैं।

विनोद वर्मा की कार्यशैली में पारदर्शिता का भारी अभाव देखा गया है। गांवों की सार्वजनिक जमीनों पर बड़े रसूखदारों के कब्जे करवाना, उसके बाद उसे विवादित बनाकर उपजाऊ भूमि को बंजर में तब्दील करना जैसे गंभीर आरोप उनकी कार्यशैली पर लग चुके हैं। इस प्रकार के मामलों में सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की जाती रही है, लेकिन अफसरशाही के साथ-साथ राजनीतिक समर्थन ने उन्हें हर बार बचा लिया।

ब्लाक में कार्यरत सफाईकर्मियों की भूमिका

सूत्रों के मुताबिक, विनोद वर्मा के घर की देखरेख के लिए कम से कम 6 सफाई कर्मी और कुछ प्राइवेट कर्मचारी दिन-रात लगे रहते हैं। यह कर्मचारी ना सिर्फ उनके घर की सफाई करते हैं, बल्कि अन्य व्यक्तिगत कार्यों में भी उनकी मदद करते हैं। उदाहरण स्वरूप, सफाईकर्मी पंकज साहब के घर की देखभाल करता है, वहीं ललन बिहारी गाय और भैंसों के लिए चारा-पानी की व्यवस्था करता है।

साथ ही, संजय नामक सफाई कर्मी को कार्यवाहक ADO साहब ने अपना व्यक्तिगत ड्राइवर बना लिया है, जो उनके निजी कामों के लिए जिम्मेदार है। मनीष नामक सफाईकर्मी उनके बच्चों की शिक्षा का ध्यान रखता है। इन सभी कर्मियों की भूमिका सवाल उठाती है कि क्या सरकारी कर्मचारियों को निजी कामों में लगाया जाना उचित है?

इसके अलावा, ब्लाक के तीन प्राइवेट कर्मचारी, मनीष, मनोहर, और आदर्श, जो कथित तौर पर सिर्फ वसूली के लिए कार्य करते हैं, इनकी गतिविधियां भी अक्सर सवालों के घेरे में रही हैं। सूत्र बताते हैं कि इन कर्मचारियों के माध्यम से विनोद वर्मा की निजी कार्यों के लिए अवैध वसूली की जाती है।

साफ़ सफाई से लेकर सरकारी दफ्तर तक: सफाईकर्मियों का निजी उपयोग

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विनोद वर्मा के पास कुछ सफाईकर्मियों की पूरी टीम है जो उनके घर के कामकाज में लगी रहती है। सफाईकर्मी पंकज, ललन बिहारी, ज्योति और संजय की जिम्मेदारी विनोद वर्मा के घर की देखभाल से लेकर उनकी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करना है। पंकज साहब के घर की सफाई और देखभाल करता है, जबकि ललन बिहारी गाय-भैंसों के चारे-पानी का ध्यान रखता है। ज्योति घर की अन्य सफाई का काम करती है और संजय सफाईकर्मी को ड्राइवर के तौर पर रखा गया है। यह सब कार्य सरकारी दायित्वों से हटकर निजी कामकाजी हलचलें हैं, जो सरकारी कर्मचारियों को बेजा कामों में संलिप्त कर रही हैं।

सरकारी धन का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप

सरकारी धन का दुरुपयोग की बात करें, तो विनोद वर्मा पर आरोप है कि वह सरकारी संसाधनों का व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग करते हैं। इन आरोपों को लेकर पहले भी कई बार शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इन परिस्थितियों में, विनोद वर्मा और उनके साथ काम करने वाले सफाईकर्मियों पर कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

सरकारी धन का दुरुपयोग न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करता है, बल्कि यह ग्रामीण समुदाय के विकास में भी बाधक बनता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए संबंधित अधिकारियों को चाहिए कि वे इन आरोपों की निष्पक्ष जांच करें और जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।

विनोद वर्मा का गंदा खेल: सरकारी कर्मचारियों का निजी इस्तेमाल

सिर्फ सफाईकर्मी ही नहीं, बल्कि तीन प्राइवेट कर्मचारी भी कार्यवाहक ADO पंचायत के निजी कार्यों में लगे हुए हैं। मनीष, मनोहर और आदर्श जैसे व्यक्ति जो केवल वसूली के लिए काम करते हैं, इनकी भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों के बजाय ये प्राइवेट कर्मचारी सरकारी योजनाओं का संचालन करने के बजाय निजी कामों में व्यस्त रहते हैं। यह घटना सरकारी दायित्वों के उल्लंघन के रूप में देखी जा रही है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी धन का सही तरीके से इस्तेमाल हो रहा है या नहीं।

राजनीतिक संबंध और प्रशासनिक संरक्षण

विनोद वर्मा की सख्त कार्यशैली के पीछे कहीं न कहीं उनके राजनीतिक संबंधों का हाथ हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, उनका राजनीतिक रसूख इतना मजबूत है कि वे प्रशासनिक नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर अपनी मर्जी के अनुसार काम करते हैं। यह स्थिति बताती है कि कैसे कुछ अफसरों को प्रशासनिक तंत्र में संरक्षण मिल जाता है और वे अपनी गलत गतिविधियों को छिपा पाते हैं।

मुख्य विकास अधिकारी की चुप्पी: अफसरशाही पर सवाल

अगर इस मामले की गहराई से जांच की जाए, तो सवाल यह उठता है कि मुख्य विकास अधिकारी क्यों इस भ्रष्टाचार को अनदेखा कर रहे हैं। विनोद वर्मा की कार्यशैली पर सवाल उठने के बावजूद मुख्य विकास अधिकारी क्यों इस पर चुप्पी साधे हुए हैं, यह एक बड़ा सवाल बन चुका है। क्या अधिकारी अपने तंत्र के भीतर खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं? या फिर इस मामले में कोई राजनीतिक साजिश रची जा रही है, जो इस भ्रष्टाचार को संरक्षण देती है?

ग्राम समाज की जमीनों पर कब्जे और सरकारी योजनाओं की हानि

विनोद वर्मा के कार्यकाल में ग्राम समाज की जमीनों पर रसूखदारों द्वारा कब्जा कराना और फिर उन्हें विवादित बना देना एक और प्रमुख घटना है। इसके बाद भूमि को बंजर करने के प्रयास किए जाते हैं, जिससे न केवल गांव की उपजाऊ ज़मीन की हानि होती है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टि से भी गंभीर परिणामों को जन्म देता है। इन घटनाओं को विनोद वर्मा के करीबी रिश्तेदारों और सहयोगियों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है, जो भ्रष्टाचार में संलिप्त रहते हैं।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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