22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए गए। इस निर्णायक कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया है। सेना की इस वीरता को लेकर देश की राजनीति में एकजुटता का दुर्लभ दृश्य देखने को मिला। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने एक स्वर में सेना के पराक्रम को सलाम किया है।

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा—“पराक्रमो विजयते!!”, जिसका अर्थ है, “पराक्रम ही विजयी होता है।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है। जय हिंद!”
राजद नेता तेजस्वी यादव ने लिखा, “भारतीय सेना ने हर बार माताओं की कोख, बहनों की कलाई और उनके माथे के सिंदूर की रक्षा की है। हम शांति के समर्थक हैं, लेकिन अगर कोई हमारी एकता और अखंडता को चुनौती देगा, तो हम एकजुट होकर जवाब देना जानते हैं।”
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन करते हुए लिखा, “पाकिस्तानी डीप स्टेट को ऐसी सख्त सीख दी जानी चाहिए कि फिर कभी दूसरा पहलगाम न हो। भारत को चाहिए कि पाकिस्तान के आतंक ढांचे को पूरी तरह से नष्ट कर दे।”
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “यह एकता और एकजुटता का समय है। कांग्रेस पार्टी सशस्त्र बलों के साथ मजबूती से खड़ी है।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकवाद के सभी स्रोतों को जड़ से खत्म करने की भारत की नीति हमेशा अटल रहनी चाहिए।

सेना की इस सर्जिकल कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा के अड्डे मुरीदके को निशाना बनाया गया। सोशल मीडिया पर भी नागरिकों ने सेना को भरपूर समर्थन दिया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट, निर्णायक और सटीक जवाब दिया है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत न केवल सहनशील है, बल्कि जरूरत पड़ने पर प्रतिशोध की पूरी क्षमता रखता है।
Author: Sweta Sharma
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