[the_ad id="4133"]
Home » धर्म » अहोई अष्टमी 2025: जानें सही तिथि, पूजा विधि और महत्व

अहोई अष्टमी 2025: जानें सही तिथि, पूजा विधि और महत्व

13 अक्टूबर को रखा जाएगा अहोई अष्टमी का व्रत

संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं करती हैं पूजा

शाम को तारों को अर्घ्य देकर खोला जाता है व्रत

संतान की लंबी आयु और मंगलकामना के लिए रखा जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत इस बार 13 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर को दोपहर 12:24 बजे से शुरू होकर 14 अक्टूबर को दोपहर 1:09 बजे तक रहेगी। पंचांग के अनुसार, व्रत का शुभ समय 13 अक्टूबर को ही है। पूजा का मुहूर्त शाम 5:53 बजे से 7:08 बजे तक रहेगा।

अहोई अष्टमी पूजा विधि

व्रत के दिन महिलाएं सुबह स्नान करके निर्जला व्रत का संकल्प लेती हैं। शाम के समय अहोई माता का चित्र दीवार पर बनाया या स्थापित किया जाता है, जिसमें सेई और उसके बच्चों की आकृति भी होती है। पूजा स्थल पर कलश स्थापना की जाती है और चावल, मूली, सिंघाड़ा, पूरी और पुए अर्पित किए जाते हैं। माता की पूजा के बाद कथा सुनना और आरती करना अनिवार्य माना गया है। व्रत का पारण तारों को अर्घ्य देने के बाद ही किया जाता है और पकवान जरूरतमंदों को दान में दिए जाते हैं।

अहोई अष्टमी का महत्व

यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए करती हैं। मान्यता है कि अहोई माता, जिन्हें मां पार्वती का स्वरूप माना जाता है, अपने भक्तों की संतानों को संकटों से बचाती हैं और उन्हें उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। निःसंतान महिलाएं भी संतान प्राप्ति की कामना से यह व्रत रखती हैं। अहोई अष्टमी करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से आठ दिन पहले मनाई जाती है।

ntuser1
Author: ntuser1

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com