लखनऊ, चौथे गोमती बुक फेस्टिवल के तीसरे दिन लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रांगण में साहित्य, सृजनात्मकता और संस्कृति के रंग बिखरे। नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया द्वारा आयोजित इस मेले में हजारों पुस्तकप्रेमी और विद्यार्थी पहुंचे और विभिन्न भाषाओं व शैलियों की पुस्तकों को देखा।
बच्चों की रचनात्मकता:
बच्चों के पवेलियन में “चित्रोत्सव – ड्रॉ, डूडल, डिस्कवर” कार्यशाला ने माहौल को जीवंत बना दिया। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट अजीत नारायण और उनकी टीम ने बच्चों को कार्टून कैरेक्टर और भाव-भंगिमाएं बनाने की कला सिखाई। बच्चों ने रोज़मर्रा की चीजों को कार्टून रूप में ढालकर अपनी कल्पनाशीलता को उड़ान दी।
एआई और रचनात्मकता पर चर्चा:
पहले साहित्यिक संवाद सत्र में ‘कृत्रिम बौद्धिकता: नई सदी की रचनात्मकता’ विषय पर संतोष चौबे और योगिता यादव के बीच विचार-विमर्श हुआ। श्री चौबे ने कहा कि एआई मित्र और मार्गदर्शक तो हो सकता है, लेकिन निर्णय मनुष्य को ही लेना चाहिए। उन्होंने साहित्य और अनुवाद में एआई के उपयोग की संभावनाओं के साथ बच्चों द्वारा इसके अति-उपयोग से सावधान रहने की सलाह दी।
ई-पुस्तकों का सत्र:
‘ई-पुस्तकें: पाठ और संवाद की सहज दुनिया’ विषय पर अरुण देव, अमित तिवारी और नीलाभ श्रीवास्तव ने अपने अनुभव साझा किए। सत्र में ई-बुक्स के प्रसार, लेखक-पाठक संवाद और मंचों की चुनौतियों पर चर्चा हुई।
भक्ति संगीत की संध्या:
शाम को पंडित सुजीत कुमार ओझा ने ग्वालियर घराना की परंपरा में भक्ति पद प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके सुरों ने पूरे प्रांगण को भक्ति-रस से भर दिया।
पुस्तक मेला और प्रदर्शनी:
फेस्टिवल में 225 प्रकाशक और 200 से अधिक स्टालों पर पुस्तकें प्रदर्शित की जा रही हैं। आगंतुक राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय (REP) के माध्यम से 3,000 से अधिक ई-बुक्स तक निःशुल्क पहुंच प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही पंजीकरण पर एनबीटी प्रकाशनों पर छूट भी मिल रही है।
28 सितम्बर तक चलने वाले इस महोत्सव में प्रतिदिन सुबह 11 से रात 8 बजे तक कार्यशालाएं, लेखक संवाद और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी।
