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अजय टम्टा ने हिमाचल आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया

निश्चय टाइम्स, डेस्क। हिमाचल प्रदेश में इस मानसून के मौसम में विनाशकारी वर्षा हुई है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे राज्य में जान-माल का नुकसान हुआ है। कुल्लू और मंडी जिले काफी प्रभावित हुए हैं। जून में मानसून के मौसम की शुरुआत से ही कीरतपुर-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर मामूली भूस्खलन देखे जा रहे थे, जिन्हें सुचारू यातायात सुनिश्चित करने के लिए एनएचएआई द्वारा तुरंत साफ किया जा रहा हैं। हालाँकि, 25, 26 और 27 अगस्त को अंजनी महादेव (सोलंग नाले के पास), मनालसू (पुराने मनाली के पास) और बड़ाग्राम (पतलीकूहल में) जैसे ब्यास नदी के नालों में अचानक बादल फटने के कारण ब्यास नदी में अचानक बाढ़ आ गई। पानी का तेज बहाव अपने साथ तेज गति से भारी पत्थर लेकर आया, जिससे कई स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग क्षतिग्रस्त हो गया।
परिणामस्वरूप, राजमार्ग कई स्थानों पर पूरी तरह बह गया और मनाली तथा कुल्लू का संपर्क टूट गया। इसके बाद, यातायात को बाएँ किनारे वाली एमडीआर सड़क से डायवर्ट किया गया। मनाली का देश के बाकी हिस्सों से संपर्क सुनिश्चित करने के लिए एनएचएआई ने इस एमडीआर के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत के लिए 4 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इसके अतिरिक्त, कुल्लू-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर तत्काल मरम्मत का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। एनएचएआई के अध्यक्ष ने तत्काल मरम्मत कार्यों के लिए 100 करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत कर दिए हैं।
एनएचएआई ने युद्ध स्तर पर काम करते हुए कुल्लू और मनाली के बीच के मध्यवर्ती स्थानों पर आवश्यक सेवाओं को प्रभावित न होने देने के लिए रायसन, पतलीकूहल, कलाथ, अलियो ग्राउंड जैसे संपर्क-बंद स्थानों की कनेक्टिविटी बहाल कर दी है।
कुल्लू-मनाली के अलावा, पंडोह से टकोली के बीच बड़े भूस्खलन हुए हैं, जिससे यातायात प्रभावित हुआ है। भूस्खलन हटाने वाली मशीनें मौके पर तैनात हैं और यातायात की आवागमन बनाए रखने के लिए लगातार मलबा हटाया जा रहा है। इस क्षेत्र की कठिन भूमि, नाजुक भू-आकृति और चरम मौसम की घटनाएँ राजमार्ग विकास में बड़ी चुनौतियाँ पेश करती हैं। तत्काल बहाली कार्यों के अलावा, दीर्घकालिक सुरक्षा कार्यों के लिए डीपीआर का काम भी लगभग अंतिम चरण में है। स्थायी उपायों में सुरंगों, पुलों, ढलान तथा नदी सुरक्षा कार्यों का प्रावधान शामिल होगा।
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अधीन ऑट में कीरतपुर-मनाली सड़क को जोड़ने वाले एक अन्य एनएच-305 को भी कई स्थानों पर भूस्खलन और सड़क धंसने के कारण भारी नुकसान हुआ है। संपर्क बाधित होने के कारण धामन, लारजी, बालीचौकी, बाहुगी, सिरदाह, तरगाली, सराय जैसे कई स्थान कुछ दिनों के लिए कट गए थे, जिससे दैनिक वस्तुओं की नियमित आपूर्ति में कठिनाई हो रही थी। भारी बारिश ने यातायात बहाली कार्यों को करने में भी चुनौतियाँ पेश की इन चुनौतियों के बावजूद, हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने सड़क को यातायात योग्य बनाए रखने के लिए जनशक्ति और मशीनरी जुटाने के रूप में सभी प्रयास किए। समर्पित और निरंतर प्रयासों से पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग पर हल्के मोटर वाहनों की आवागमन के लिए सड़क खोल दी गई है। अस्थायी बहाली कार्यों और स्थायी बहाली कार्यों की अनुमानित लागत क्रमशः लगभग 15 करोड़ और 50 करोड़ रुपये आंकी गई है। इन अल्पकालिक उपायों के अलावा, किमी 0/00 (सैंज) से किमी 31/000 (कंडुगाड़) तक, अन्नी होते हुए, खंड के अनुमोदन की प्रक्रिया मंत्रालय के विचाराधीन है। मंत्रालय ने इस खंड में भूस्खलन शमन उपायों को तैयार करने में टीएचडीसीआईएल (THDCIL) की विशेषज्ञता लेने का निर्देश दिया है। साथ ही, शेष खंडों के लिए डीपीआर व्यवहार्यता अध्ययन के अधीन है, जहाँ उचित जाँच और सर्वेक्षण के साथ ढलान स्थिरीकरण उपायों को शामिल किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के अधीन राष्ट्रीय राजमार्ग-154ए (बनीखेत-चंबा-भरमौर) को भी भूस्खलन, चट्टान गिरने और आंशिक रूप से कटाव की कई घटनाओं के कारण भारी नुकसान हुआ है। हालाँकि, इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बहाल कर दिया गया है, और अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक दोनों ही आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, राज्य में अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी भूस्खलन की कई घटनाएँ हुईं, जिन्हें यातायात को सुचारू रूप से बहाल करने के लिए तुरंत साफ कर दिया गया है। बादल फटने, असामान्य वर्षा की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति तथा भूस्खलन और कटाव के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों को होने वाले नुकसान को देखते हुए इन नुकसानों को रोकने तथा आपदा-प्रतिरोधी संपर्क बनाने के लिए विशेष उपाय करने की आवश्यकता है।
पहाड़ी इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्गों के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए स्थिर कटाई के लिए अतिरिक्त आरओडब्ल्यू चौड़ाई प्राप्त करने, चट्टान गिरने से रोकने वाले अवरोधों के उपयोग, सड़क निर्माण में जियोटेक्सटाइल्स, भू-तकनीकी सर्वेक्षण आदि जैसे अभिनव कदमों को शामिल करने जैसे कई उपाय किए गए हैं। कार्य को शीघ्र गति देने हेतु मौजूदा ठेकेदारों को कार्य आवंटित कर दिया गया है। पहाड़ी राज्यों में आपदा-प्रतिरोधी राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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Author: ntuser1

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