अजमेर के 1992 के सेक्स स्कैंडल ने एक बार फिर से सुर्खियां बटोरी हैं, जब इस मामले में बचे हुए आरोपियों को विशेष अदालत ने दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। इस घिनौने कांड में 100 से अधिक कॉलेज की लड़कियों के साथ गैंगरेप किया गया और उनकी न्यूड तस्वीरें खींचकर उन्हें ब्लैकमेल किया गया था। आज, 32 साल बाद, नफीस चिश्ती, सलीम चिश्ती, सौहेल गनी, जमील चिश्ती, इकबाल भाटी और टार्जन को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने उन्हें 5-5 लाख रुपये जुर्माने के साथ उम्रकैद की सजा दी है।
इस कांड में 18 आरोपी थे, जिनमें से 9 को पहले ही सजा हो चुकी थी। बाकी दोषियों पर आज फैसला आया है। इस पूरे मामले को ‘अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड’ के नाम से जाना गया। अजमेर के तत्कालीन यूथ कांग्रेस अध्यक्ष फारुख चिश्ती और उसके सहयोगियों ने कॉलेज की लड़कियों को पार्टी के नाम पर बुलाकर उन्हें नशीला पदार्थ पिलाया, फिर उनका गैंगरेप किया और उनकी न्यूड तस्वीरें खींच लीं। इन तस्वीरों का इस्तेमाल कर लड़कियों को ब्लैकमेल किया गया और अन्य लड़कियों को फंसाने के लिए मजबूर किया गया।
इस कांड का खुलासा तब हुआ जब अजमेर के एक कलर लैब से कुछ अश्लील फोटो लीक हो गए और शहर में चर्चा शुरू हो गई। जांच के दौरान, पुलिस ने उन तस्वीरों के माध्यम से पीड़िताओं तक पहुंचना शुरू किया। हालांकि, इस घिनौने अपराध के कारण कुछ लड़कियों ने आत्महत्या भी कर ली।
आज, 32 साल बाद, न्याय की उम्मीद लिए इन पीड़िताओं को आखिरकार इंसाफ मिला है। कोर्ट के इस फैसले ने उन घावों को फिर से ताजा कर दिया है, लेकिन साथ ही यह भी साबित किया है कि न्याय की लड़ाई में कभी हार नहीं माननी चाहिए।

Author: Sweta Sharma
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