मथुरा: श्री बांकेबिहारी मंदिर के तोषखाने (खजाने) को 54 साल बाद धनतेरस के दिन खोले जाने के बाद अब इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। मंदिर के खजाने में कोई बेशकीमती वस्तु न मिलने पर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि “कम से कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दो, इतना लालच भी अच्छा नहीं।” अखिलेश यादव ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा —
“भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह… कम-से-कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दे… इतना भी लालच अच्छा नहीं। दुर्भाग्यपूर्ण!”
उनका यह बयान वायरल हो गया है और इसे लेकर सियासी हलकों में चर्चा तेज़ हो गई है।
दरअसल, मथुरा के वृंदावन स्थित बांकेबिहारी मंदिर का तोषखाना 18 अक्टूबर 2025 (धनतेरस) के दिन खोला गया। इसे 54 वर्ष बाद खोला गया था। अफसरों की देखरेख में दिल्ली से आए चार्टर्ड अकाउंटेंट ने खजाने की वस्तुओं की पूरी सूची तैयार की। लेकिन अंदर से पीतल के बर्तन, संदूक और आभूषणों के खाली बॉक्स ही मिले। किसी भी प्रकार के हीरे-जवाहरात या सोने-चांदी के आभूषण नहीं मिले। सूत्रों के मुताबिक, खजाना खोलने के दौरान मंदिर के सेवायतों ने विरोध और नारेबाजी की। उनका कहना था कि प्रशासनिक दबाव में मंदिर की परंपराओं के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। विवाद बढ़ने के बाद खजाने को दोबारा सील कर दिया गया।
जिलाधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि अभी एक कमरा बाकी है, जिसे रविवार को खोला जाएगा। उनका कहना है कि जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही है और हर वस्तु की लिस्ट बनाकर रिकॉर्ड किया जा रहा है।
बता दें कि मंदिर की हाई पावर्ड कमेटी ने अपनी पहली बैठक में खजाने को खोलने का निर्णय लिया था। कोर्ट की सील होने के कारण प्रशासन ने सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट में आवेदन दिया था, जिसके बाद कोर्ट ने 18 अक्तूबर की तारीख तय की थी। अब इस पूरे मामले पर अखिलेश यादव की टिप्पणी से राजनीतिक रंग गहराता जा रहा है। जहां सरकार इसे पारदर्शिता का प्रयास बता रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक स्थलों के हस्तक्षेप के रूप में देख रहा है
