प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रविवार को एक असामान्य और दुर्लभ सुनवाई करते हुए फर्रुखाबाद के वकील अवधेश मिश्रा की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरुण भसीन के विशेष आदेश पर गठित एक विशेष पीठ के समक्ष हुई। इस विशेष पीठ में न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार शामिल थे।
यह मामला फर्रुखाबाद में दर्ज एक प्राथमिकी से संबंधित है, जिसके तहत वकील अवधेश मिश्रा पर एक पुराने मामले में याचिकाकर्ता से 5 लाख रुपये की मांग करने का आरोप लगाया गया है। यह प्राथमिकी 11 अक्टूबर को कोतवाली फतेहगढ़ में दर्ज की गई थी। मिश्रा ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यह कार्रवाई पूरी तरह दुर्भावनापूर्ण है और फर्रुखाबाद की पुलिस अधीक्षक आरती सिंह ने प्रीति यादव द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में 9 अक्टूबर को जारी आदेश के बाद जानबूझकर एफआईआर दर्ज करवाई है।
रविवार को हुई इस आपात सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह और प्रशांत सिंह रिंकू ने याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पक्ष रखा। उनका कहना था कि यह एफआईआर न्यायालय के आदेश का गलत अर्थ निकालकर दर्ज की गई है और इसका उद्देश्य याचिकाकर्ता को परेशान करना है। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है और यह एक राजनीतिक एवं व्यक्तिगत प्रतिशोध का परिणाम प्रतीत होता है।
सुनवाई के बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 29 अक्टूबर निर्धारित करते हुए अवधेश मिश्रा की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही, अदालत ने आदेश दिया कि इस निर्देश की एक प्रति मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम), फर्रुखाबाद के माध्यम से पुलिस अधीक्षक (एसपी) और स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), कोतवाली फतेहगढ़ को तुरंत भेजी जाए ताकि आदेश का पालन सुनिश्चित हो सके।
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रविवार को की गई यह विशेष सुनवाई असामान्य मानी जा रही है, क्योंकि सामान्य परिस्थितियों में अदालतें अवकाश के दिन इस तरह की याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करतीं। न्यायिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से अदालत ने यह संकेत दिया है कि वह न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
