कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। इस मामले के मुख्य आरोपित सिविक वालंटियर की बाइक, जिस पर “केपी” (कोलकाता पुलिस) लिखा हुआ है, को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है। भाजपा बंगाल इकाई के सह प्रभारी और आइटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस मामले में कोलकाता पुलिस आयुक्त पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि आरोपित की बाइक कोलकाता पुलिस आयुक्त के नाम पर पंजीकृत है। इस मामले पर सोशल मीडिया पर भी काफी हंगामा मचा हुआ है, और कोलकाता पुलिस को अपनी सफाई देने के लिए बाध्य होना पड़ा है।
How can male policemen manhandle women protestors? The cop almost grabbed her.
WTH is going on CM Mamata Banerjee?@NCWIndia must take suomoto cognisance and summon the West Bengal DGP for gross violation of laid down rules and procedures.
This is completely unacceptable. pic.twitter.com/fnnKxb7cET
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 27, 2024
पुलिस ने क्या कहा?
कोलकाता पुलिस ने इंटरनेट मीडिया पर सफाई देते हुए कहा कि पुलिस के उपयोग के लिए सभी आधिकारिक वाहनों को पुलिस आयुक्त के नाम पर पंजीकृत किया जाता है। ये एक सामान्य प्रक्रिया है जिसके तहत किसी भी वाहन को विभागीय उपयोग के लिए सौंपे जाने से पहले उसे पुलिस आयुक्त के नाम पर पंजीकृत किया जाता है। सिविक वालंटियर, जो कि इस मामले में मुख्य आरोपित है, के पास भी ऐसा ही एक वाहन था जो कोलकाता पुलिस के नाम पर पंजीकृत था। पुलिस ने इस मामले को “भ्रम” फैलाने की कोशिश करार दिया है।
क्या यह सच में भ्रम फैलाने की कोशिश है?
कोलकाता पुलिस का कहना है कि यह मामला केवल एक गलतफहमी है और कुछ लोग सोशल मीडिया पर जानबूझकर इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। पुलिस ने बताया कि इस बाइक को पहले ही जब्त कर लिया गया था और कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर जब सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ली, तब इस बाइक को सीबीआई को सौंप दिया गया।
घटना के दिन की तस्वीरें और सबूत
घटना के दिन आरजी कर अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में सिविक वालंटियर को हेलमेट हाथ में लिए अस्पताल के गलियारे में टहलते हुए देखा जा सकता है। फुटेज में दिख रही बाइक पर “केपी” लिखा हुआ है, जो कि कोलकाता पुलिस का संक्षिप्त रूप है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जिस दिन यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी, उसी दिन आरोपित को इसी बाइक पर अस्पताल परिसर में देखा गया था।
आरोपित का अस्पताल में आना-जाना
सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि आरोपित ने घटना से एक दिन पहले और घटना वाले दिन चार बार अस्पताल का दौरा किया था। उसने अपने एक मित्र को देखने के बहाने अस्पताल में प्रवेश किया था, जबकि वह अपने मकसद में एकदम स्पष्ट था। पुलिस ने यह भी बताया कि उसने दो बार और अस्पताल का दौरा किया था, जब वह किसी बहाने से वहां गया था।
क्या कह रहे हैं निवासी और पड़ोसी?
इस घटना के बाद निवासियों, पड़ोसियों और आरोपित के परिचितों ने दावा किया है कि आरोपित अक्सर “केपी” लिखी बाइक पर घूमता था। इसके अलावा, स्थानीय लोगों का कहना है कि आरोपित को अपनी ताकत का गलत फायदा उठाने की आदत थी और वह अक्सर अपनी पहचान का इस्तेमाल गलत कामों के लिए करता था।
क्या पुलिस का बयान सच है?
इस मामले में कोलकाता पुलिस ने जिस तरह से सफाई दी है, उससे कई सवाल खड़े होते हैं। क्या वाकई यह केवल एक संयोग है कि आरोपित की बाइक पुलिस आयुक्त के नाम पर पंजीकृत थी, या फिर इसमें कोई और साजिश है? सीबीआई की जांच इस मामले में और अधिक खुलासे कर सकती है, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
भविष्य की दिशा
इस मामले ने कोलकाता पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। पुलिस आयुक्त के नाम पर पंजीकृत बाइक का इस मामले में शामिल होना पुलिस की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि यह केवल एक संयोग है, लेकिन इस मामले में सच्चाई का पता चलने में अभी समय लग सकता है। जब तक सीबीआई की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक इस मामले पर कई अटकलें लगाई जाती रहेंगी।
कोलकाता पुलिस द्वारा दिए गए बयान ने सोशल मीडिया पर चल रही बहस को और अधिक बढ़ावा दिया है। कुछ लोग इसे कोलकाता पुलिस के खिलाफ एक साजिश मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे केवल एक संयोग बता रहे हैं। इस मामले में आगे क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह मामला काफी चर्चा में है।
