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अपनी कुर्सी बचाने के लिए कानून में संशोधन करना कांग्रेस का असली संविधान विरोधी चेहरा : निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली। भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर लोकसभा में दो दिन हुई चर्चा के बाद सोमवार को राज्यसभा में संविधान के महत्व और विरासत पर दो दिवसीय चर्चा शुरू हुई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा की शुरुआत की, जबकि पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव 17 दिसंबर को इसका समापन करने वाले हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने राज्यसभा में कहा, हमारे संविधान के 75 साल पूरे होने के ऐतिहासिक मौके पर मुझे यह अवसर देने पर मैं बहुत सम्मानित और विनम्र महसूस करती हूं। मैं संविधान सभा के सभी 389 सदस्यों विशेष रूप से उन 15 महिलाओं को श्रद्धांजलि देकर शुरुआत करती हूं, जिन्होंने तीन साल से भी कम समय में भारत के संविधान को बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल में तैयार करने की कठिन चुनौती का सामना किया। आज हमें इस बात पर बेहद गर्व है कि भारत का लोकतंत्र कैसे बढ़ रहा है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला ने कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए थे और उनका अपना संविधान था। लेकिन कई देशों ने अपने संविधान में बदलाव किया, न केवल संशोधन किया बल्कि अपने संविधान की पूरी विशेषता को ही पूरी तरह बदल दिया। लेकिन हमारा संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा है और निश्चित रूप से इसमें कई संशोधन हुए हैं।

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान का कितना दुरुपयोग किया, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि नेहरू विरोधी कविता के लिए मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी और अभिनेता बलराज साहनी को जेल जाना पड़ा था। न्यायपालिका को दबाने के लिए कांग्रेस ने संविधान में कई संशोधन किए। लेकिन आज जब कांग्रेस न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बात करती है, तब हमें हंसी आती है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए अदालत का फैसला आने से पहले कानून में संशोधन करना कांग्रेस का असली संविधान विरोधी चेहरा रहा है। एक विशेष परिवार को बचाने के लिए संविधान में कई बार संशोधन हुआ है। कांग्रेस ने नियमों का उल्लंघन कर कानून बदला और लोकसभा का कार्यकाल 6 साल कर दिया। तब पूरे विपक्ष को जेल में डाला गया था। इसके बाद यह सब बदलाव हुआ। एक लोकतांत्रिक देश में इस घटनाओं को जायज नहीं ठहराया जा सकता।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस देश के पहले प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार पर प्रेस की निगरानी की निंदा की, जबकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रेस की स्वतंत्रता की प्रशंसा की। इसमें कोई संदेह नहीं है। संविधान को अपनाने के एक साल के भीतर ही कांग्रेस द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए पहला संवैधानिक संशोधन लाया गया। वहीं कांग्रेस ने मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता पाने के उनके अधिकार से वंचित किया।

उन्होंने कहा कि साल 1950 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पत्रिका क्रॉस रोड्स और आरएसएस की पत्रिका ऑर्गनाइजर के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन इसके जवाब में तत्कालीन अंतरिम सरकार ने इनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में संशोधन किया। 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई राजनीतिक जीवनी नेहरू पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने किस्सा कुर्सी का नामक एक फिल्म पर भी प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाए गए थे।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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