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प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल को लेकर केंद्र के खिलाफ भड़का गुस्सा – वकीलों की हड़ताल, अदालतें ठप

नई दिल्ली। प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल, 2025 के खिलाफ वकीलों का आक्रोश अब चरम पर पहुंच गया है। सोमवार से शुरु हुई वकीलों की हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रही है। इसका असर अदालती काम-काज पर पड़ा है। यहां मध्य प्रदेश में भी वकील हड़ताल कर रहे हैं।

इससे पहले प्रस्तावित बिल के खिलाफ तीस हजारी कोर्ट के बाहर वकीलों ने गुरुवार को चक्का जाम कर अपनी बात केंद्र सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की थी। यही नहीं रोहिणी कोर्ट के वकील संगठन ने तो अपने सदस्यों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत के सामने अपनी हाजिरी लगाने से भी रोक दिया है। दिल्ली के सभी जिला अदालतों के वकील संगठनों की कोऑर्डिनेशन कमेटी ने कहा है कि बीते सोमवार से शुरू हुई उनकी हड़ताल शनिवार को भी जारी रहेगी। कोऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगदीप वत्स और सेक्रेटरी जनरल अतुल कुमार शर्मा ने प्रस्ताव जारी करते हुए इस बात की सूचना दी है। कमेटी के पदाधिकारियों ने प्रस्तावित बिल को वकीलों की एकता, अखंडता और प्रतिष्ठा के खिलाफ और कठोर प्रकृति वाला बताया है। वकीलों का कहना है कि इस बिल से सभी राज्यों की बार काउंसिल और अन्य वकील संगठनों की स्वायत्तता पर सीधे-सीधे असर पड़ेगा।

हड़ताल पर गए वकीलों व समिति ने न्यायिक अधिकारियों से साथ देने और इन दो दिनों में लगे मामलों में किसी भी तरह का प्रतिकूल आदेश पारित नहीं करने का अनुरोध भी किया है।

मध्य प्रदेश की इंदौर जिला अदालत में भी अधिवक्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नारे लगाए हैं। यहां लामबंद हुए वकीलों ने कहा कि केंद्र सरकार वकीलों को लेकर एक ऐसा अधिनियम लाने जा रही है जिसके लागू होने के कारण वकीलों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।

मध्य प्रदेश के साथ ही अन्य सभी राज्यों में अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन का तेज विरोध हो रहा है। बताया जा रहा है कि अधिनियम लागू करने का फिलहाल प्रस्ताव रखा गया है, लेकिन उसके पहले ही वकीलों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया। यहां अधिवक्ता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के विरोध में शुक्रवार को सभी वकील कार्य से विरत रहे। इंदौर जिला अदालत के बाहर एकत्र हुए वकीलों ने प्रदर्शन करते हुए प्रस्तावित अधिनियम के विरोध में नारेबाजी की। हड़ताल कर रहे वकीलों ने अधिवक्ता अधिनियम में किए जा रहे संशोधन को काला कानून बताया है और केंद्र से इसे वापस लेने की मांग की है।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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