निश्चय टाइम्स, लखनऊ। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछले 5 महीने से जिला विद्यालय निरीक्षक (द्वितीय) की नियुक्ति नहीं हो पाई है, इसका सीधा असर राजधानी के 50 ऐडेड बालिका विद्यालयों और राजकीय के भी करीब 25 विद्यालयों पर असर पड़ रहा है। हाल यह है कि जिला विद्यालय निरीक्षक (द्वितीय) के ना होने से सारा काम जिला विद्यालय निरीक्षक (प्रथम) राकेश कुमार पांडे और उनके बाबूओं की टीम देख रही है, ऐसे में बाबूओं की मौज है। बालिका विद्यालय से जुड़े मामलों की फाइलें अपने हिसाब से बढ़ाई जा रही है, जिसके चलते उल्टे सीधे फैसले हो रहे हैं।
प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में भले ही बालिकाएं सबसे ऊपर हों लेकिन मध्यमिक शिक्षा विभाग पर इसका कोई असर नहीं दिखता। राजधानी में जिला विद्यालय निरीक्षक (द्वितीय) की नियुक्ति पिछले 5 महीनों से नहीं हो पा रही है। जनवरी-2025 में जिला विद्यालय निरीक्षक (द्वितीय) रहे रावेन्द्र सिंह बघेल के सेवानिवृत होने के बाद से बालिका विद्यालय के 50 स्कूलों का काम भी जिला विद्यालय निरीक्षक प्रथम राकेश कुमार पांडे ही संभाल रहे हैं। राकेश कुमार पांडे के पास पहले से ही बालक विद्यालयों के 50 और राज्य के भी करीब 20-25 स्कूल है। इसके अलावा भी सरकारी व अन्य काम भी उनके जिम्मे है। हाल यह है कि हजरतगंज स्थित बिशुन नारायण इंटर कॉलेज की बिल्डिंग जर्जर होने की वजह से 10 महीने पहले ही ढहा दी गई, लेकिन यहां कागजों पर पढ़ाई अभी तक चल रही है कल एक जुलाई से यहां पर फिर से पढ़ाई शुरू होनी है तेज बारिश है, लेकिन उसके बावजूद यहां के ना तो टीचर शिफ्ट किया जा रहे हैं न ही बच्चे, लेकिन कागजों पर स्कूल चल रहा है।
ठीक ऐसे ही हुसैनगंज स्थित चुटकी भंडार गर्ल्स इंटर कॉलेज का भी हाल है, यहां की बिल्डिंग भी पूरी तरह से जर्जर है लेकिन मैनेजर से मिली भगत के चलते राकेश कुमार पांडे का जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय स्कूल को बनाए रखने में गर्व का अनुभव कर रहा है। प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में भले ही बालिकाएं सबसे ऊपर हो लेकिन राकेश कुमार पांडे के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की प्राथमिकता में स्कूल के मैनेजर ही हैं। बिना बिल्डिंग के चाहे वह बिशुन नारायण इंटर कॉलेज हो या जर्ज़र बिल्डिंग वाला चुटकी भंडार गर्ल्स इंटर कॉलेज। मजेदार बात यह भी है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग पिछले 5 महीने से जिला विद्यालय निरीक्षक की नियुक्ति नहीं कर पा रहा है या तो विभाग से काबिल अफसर खत्म हो गए हैं या फिर यहां के अधिकारी शासन तक सही बात नहीं पहुंचा रहे हैं कि ज्यादा काम होने के कारण नए जिला विद्यालय निरीक्षक (द्वितीय) की जरूरत कितनी है।





