बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा और अशांति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। 5-6 अगस्त को बांग्लादेश के 27 जिलों में हिंदू समुदाय के घरों और मंदिरों पर बड़े पैमाने पर हमले किए गए। इन हमलों में न केवल संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि कई मंदिरों को भी तोड़फोड़ और आगजनी का शिकार बनाया गया। खुलना डिवीजन के मेहरपुर में स्थित इस्कॉन मंदिर पर हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र की टीम करेगी दौरा
इस बढ़ती हिंसा और मानवाधिकारों के हनन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश में स्थिति की जांच करने का निर्णय लिया है। अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र की एक मानवाधिकार टीम बांग्लादेश का दौरा करेगी। यह टीम ढाका में अंतरिम सरकार के साथ मुलाकात कर हालिया हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघनों पर चर्चा करेगी। टीम मानवाधिकार हनन की जांच के तौर-तरीकों और बांग्लादेश को सहायता प्रदान करने के विभिन्न क्षेत्रों पर विचार करेगी।
मानवाधिकार उल्लंघन की व्यापक जांच की मांग
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार हननों की व्यापक, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह बांग्लादेश में शांति और स्थिरता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
हिंदू समुदाय पर हमले
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और उनके धार्मिक स्थलों पर बड़े पैमाने पर हमले किए गए हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 5-6 अगस्त को 27 जिलों में हिंदुओं के घरों पर हमले किए गए, जिनमें लूटपाट और तोड़फोड़ भी शामिल थी। इन हमलों में कई मंदिरों को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया गया।
मानवाधिकारों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता: यूनुस
बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस ने कहा कि मानवाधिकार उनकी सरकार की आधारशिला हैं और हर नागरिक की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से मानवाधिकारों की सुरक्षा में सहयोग की अपील की है।
बांग्लादेश में हाल की हिंसा ने न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ाई है। अब सभी की निगाहें संयुक्त राष्ट्र की टीम की आगामी यात्रा और उसकी रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस संकट का समाधान ढूंढने में अहम भूमिका निभा सकती है।

Author: Sweta Sharma
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