बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की घटनाओं के बीच एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के मामले में बरी कर दिया है। खालिदा जिया को पहले निचली अदालत ने सात साल की सजा सुनाई थी।
भ्रष्टाचार मामले में राहत
खालिदा जिया (79) को 2018 में “जिया चैरिटेबल ट्रस्ट” भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया गया था। उन पर अज्ञात स्रोतों से ट्रस्ट के लिए धन जुटाने और सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप था।
उच्च न्यायालय की एक पीठ ने बुधवार को उनकी अपील स्वीकार कर निचली अदालत का फैसला पलट दिया। इससे पहले 2018 में, विशेष अदालत ने उन्हें “जिया अनाथालय न्यास” मामले में पांच साल की सजा सुनाई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने बढ़ाकर 10 साल कर दिया था।
हिंदुओं पर बढ़ते हमले
खालिदा जिया की रिहाई के बाद हिंदुओं पर हमलों की आशंका और गहरा गई है। बांग्लादेश के चटगांव में हालिया हिंसा इसका उदाहरण है।
वकील की मौत का आरोप हिंदुओं पर
चटगांव में एक वकील सैफुल इस्लाम की मौत के बाद हिंदुओं पर आरोप लगाया गया है। यह घटना तब हुई जब प्रमुख हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को राजद्रोह के मामले में जमानत न मिलने के बाद हिंसा भड़क उठी।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में इस्लाम की मौत हो गई, जिसके बाद कम से कम 30 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
क्या है राजनीतिक और धार्मिक तनाव का कारण?
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खालिदा जिया की रिहाई: बीएनपी अध्यक्ष की रिहाई से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। उनके समर्थक इसे सत्तारूढ़ अवामी लीग सरकार की विफलता बता रहे हैं।
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हिंदुओं पर हिंसा: बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासतौर पर हिंदुओं, पर हमले तेज हो गए हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि खालिदा जिया की रिहाई राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हो सकती है। वहीं, हिंदुओं पर बढ़ते हमले बांग्लादेश में सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ा सकते हैं।

Author: Sweta Sharma
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