बलरामपुर। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से इंसानियत को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहां गरीबी के कारण एक युवक का शव आठ घंटे तक बेसहारा पड़ा रहा। परिजनों के पास पैसे नहीं होने से मृतक विनोद चौधरी का शव उसके गांव नहीं पहुंचाया जा सका। स्थिति को समझते हुए बलरामपुर स्टेट के महाप्रबंधक कर्नल आरके मोहंता ने हस्तक्षेप कर शव को गांव पहुंचाने की व्यवस्था कराई।
गरीबी में बसर कर रहे परिजन
विनोद चौधरी, हरैया के देवनगर का निवासी था, जिसकी शुक्रवार सुबह लगभग पांच बजे यतीमखाना मोहल्ले में बनी दुकानों के सामने मौत हो गई। विनोद की पत्नी नासिया ने बताया कि शादी के करीब पांच साल बाद अब उनके पास तीन साल की एक बेटी है। वह पहले गुजरात में रहती थीं, लेकिन विनोद की खराब तबीयत के कारण चार महीने पहले वे बलरामपुर लौट आए थे।
इलाज के अभाव में हुआ निधन
विनोद का इलाज शंकरपुर में बहन के घर से चल रहा था, मगर स्थिति बिगड़ने पर उन्हें जिला मेमोरियल अस्पताल लाया गया। अस्पताल में ठहरने की बजाय विनोद पास ही बने यतीमखाना मोहल्ले में एक चौकी पर रहने लगे, जहां स्थानीय लोग उन्हें खाना-नाश्ता देते थे। शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया, जिसके बाद परिजनों को सूचना दी गई।
परिजन नहीं आए, बलरामपुर स्टेट ने कराई मदद
मृतक का पैतृक गांव करीब 40 किलोमीटर दूर था, और गरीबी के कारण परिजनों के पास शव लाने के लिए वाहन का इंतजाम भी नहीं था। सूचना देने के बाद लोग करीब आठ घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन परिजनों की आर्थिक स्थिति के कारण वे समय पर पहुंच नहीं पाए। ऐसे में बलरामपुर स्टेट की ओर से एक निजी वाहन की व्यवस्था की गई और शव को गांव पहुंचाया गया।
गांव में अंतिम संस्कार की तैयारी
ग्राम प्रधान राजा राम ने बताया कि मृतक के परिजन बेहद दयनीय स्थिति में हैं और शव लाने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं थे। प्रधान ने कहा कि उन्होंने मदद के लिए वाहन भेजा था, लेकिन शव पहले ही गांव पहुंचाया जा चुका था। अब गांव में अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं।

Author: Sweta Sharma
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