केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी के गंभीर मामले में रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और इसके प्रमोटर निदेशक अनिल अंबानी से जुड़े मुंबई स्थित परिसरों पर शनिवार को तलाशी ली। अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शिकायत के आधार पर की गई, जिसमें आरकॉम और उसके निदेशकों पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है।
एसबीआई ने 13 जून 2025 को इन खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया था और उसके बाद सीबीआई को इसकी औपचारिक शिकायत सौंपी। यह वर्गीकरण भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के मास्टर निर्देशों और बैंक बोर्ड की स्वीकृत नीतियों के तहत किया गया। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में बताया था कि आरकॉम का एसबीआई पर ऋण जोखिम 2,227.64 करोड़ रुपये के मूल बकाया और 786.52 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी से जुड़ा है।
ध्यान देने योग्य है कि आरकॉम पहले से ही दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है। इस योजना को लेनदारों की समिति ने मंजूरी दी थी और इसे 2020 में एनसीएलटी, मुंबई में प्रस्तुत किया गया था।
हालांकि, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि किसी भी कंपनी या उधारकर्ता को धोखाधड़ी घोषित करने से पहले उन्हें पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसी आधार पर सितंबर 2023 में आरकॉम के खाते से धोखाधड़ी वर्गीकरण हटा दिया गया था। लेकिन, जुलाई 2024 में आरबीआई के नए दिशा-निर्देशों के बाद उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए खाते को फिर से धोखाधड़ी श्रेणी में डाल दिया गया।

Author: Sweta Sharma
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