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बिहार उपचुनाव: गया जिले की बेलागंज और इमामगंज सीट पर एनडीए की जीत, 34 साल का राजद का किला ढहा

बिहार के गया जिले की बेलागंज और इमामगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में एनडीए ने बड़ी जीत दर्ज की है। खासकर बेलागंज सीट, जिसे पिछले 34 साल से राजद का अभेद्य किला माना जाता था, अब एनडीए के खाते में चली गई है। एनडीए की मनोरमा देवी ने इस सीट पर भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की है।

बेलागंज सीट पर राजद की हार

बेलागंज सीट से महागठबंधन के उम्मीदवार विश्वनाथ कुमार सिंह को 42,444 वोट मिले, जबकि एनडीए की मनोरमा देवी ने 59,446 वोट हासिल किए।
  • मतगणना के 9 राउंड पूरे हो चुके हैं।
  • 2 राउंड की गिनती शेष है, लेकिन अंतर इतना बड़ा है कि विश्वनाथ कुमार सिंह ने हार स्वीकार कर ली है।
  • मनोरमा देवी की जीत की आधिकारिक घोषणा थोड़ी देर में होगी।

महागठबंधन उम्मीदवार ने दी प्रतिक्रिया

महागठबंधन के उम्मीदवार विश्वनाथ कुमार सिंह ने मतगणना केंद्र से बाहर आकर कहा:
“जो हमारे नहीं हुए, वह किसी के नहीं हो सकते। जनता जिसे चाहेगी वही राजा बनेगा। 34 साल से यह सुरेंद्र यादव का गढ़ था, लेकिन अब एनडीए ने इसे तोड़ दिया।”

बेलागंज सीट पर एनडीए की जीत के कारण

गया के वरिष्ठ पत्रकार नीरज कुमार के अनुसार, एनडीए की जीत के पीछे कई कारण रहे:
  1. मुस्लिम वोट बैंक में सेंध:
    • जन सुराज ने राजद के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक को तोड़ा।
  2. जातिगत समीकरण:
    • एनडीए और महागठबंधन दोनों के उम्मीदवार यादव जाति से थे।
    • यादव बहुल क्षेत्र में यादव मतदाताओं में बड़ा विभाजन हुआ, जिससे एनडीए को लाभ मिला।
  3. नेताओं का असर बेअसर:
    • चुनाव प्रचार में लालू यादव, शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा, और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी की मौजूदगी भी महागठबंधन को फायदा नहीं पहुंचा सकी।
  4. एनडीए का संगठित प्रचार:
    • एनडीए के सभी विधायक, मंत्री, पूर्व मंत्री और केंद्रीय मंत्री गांव-गांव में कैंप कर रहे थे।
    • राज्य और केंद्र सरकार के विकास कार्यों को लेकर जनता में विश्वास बढ़ाया गया।

विकास पर जनता की मुहर

एनडीए की जीत के बाद राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेलागंज के लोगों ने इस बार जाति से ऊपर उठकर विकास को प्राथमिकता दी। राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों ने जनता को प्रभावित किया।बेलागंज और इमामगंज सीट पर एनडीए की जीत ने बिहार में विपक्षी महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है। 34 साल बाद राजद के गढ़ को तोड़ना, एनडीए के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस जीत से बिहार की राजनीति में आने वाले समय में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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